Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Global Food Crisis: रूस-यूक्रेन युद्ध बना वैश्विक खाद्य संकट का कारण, कई देशों पर अकाल का खतरा; UN ने दी चेतावनी

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Thu, 19 May 2022 07:10 PM (IST)

    UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि रूस- यूक्रेन युद्ध जलवायु परिवर्तन और महामारी के प्रभावों के कारण लाखों लोगों को संकट में डालने का खतरा बना हुआ है। दुनिया के कई हिस्‍सों में खाद्य असुरक्षा बढ़ने के बाद कुपोषण सामूहिक भूख और अकाल का सामना करना पड़ सकता है।

    Hero Image
    जल्द ही वैश्विक खाद्य संकट पैदा हो सकता है

    न्यूयॉर्क, आईएएनएस। संयुक्त राष्ट्र (United Nation) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से जल्द ही वैश्विक खाद्य संकट पैदा हो सकता है, जो वर्षों तक बना रह सकता है। बीबीसी ने बताया कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण आने वाले समय में कुछ देशों को दीर्घकालिक अकाल का सामना करना पड़ सकता है। यदि यूक्रेन के निर्यात को युद्ध से पहले बहाल नहीं किया गया है तो वैश्विक खाद्य संकट पैदा हो सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूक्रेन के बंदरगाहों से आपूर्ति में कटौती की है, जो पहले बड़ी मात्रा में खाना पकाने के तेल का निर्यात करता था। दुनिया में मक्का और गेहूं जैसे अनाज के निर्यात पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे वैश्विक खाद्य आपूर्ति कम हो गई है और विकल्पों की कीमतें बढ़ गई हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक खाद्य संकट पर जताई चिंता

    संयुक्त राष्ट्र (UN)के अनुसार, वैश्विक खाद्य कीमतें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत अधिक हुई है। संयुक्त राष्ट्र (UN)के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि रूस -यूक्रेन युद्ध, जलवायु परिवर्तन और महामारी के प्रभावों के साथ दसियों लाखों लोगों को संकट में डालने का खतरा बना हुआ है। दुनिया के कई हिस्‍सों में खाद्य असुरक्षा बढ़ने के बाद कुपोषण, सामूहिक भूख और अकाल का सामना करना पड़ सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने पर आने वाले महीनों में हमें वैश्विक खाद्य कमी के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि संकट का एकमात्र प्रभावी समाधान यूक्रेन के खाद्य उत्पादन के साथ ही रूस और बेलारूस दोनों द्वारा उत्पादित उर्वरक को वैश्विक बाजार में वापस लाना है।

    रूस और यूक्रेन दुनिया के करीब 30 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन करते हैं। युद्ध से पहले यूक्रेन को दुनिया की रोटी की टोकरी के रूप में देखा जाता था। यूक्रेन अपने बंदरगाहों के जरिए प्रति माह 45 लाख टन कृषि उत्पाद निर्यात करता था, लेकिन जब से रूस ने 24 फरवरी को अपना आक्रमण शुरू किया है, तब से उसका निर्यात गिर गया है और दुन‍िया भर में कीमतें आसमान छू गई हैं। शनिवार को भारत द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद चिंता और बढ़ गयी है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वर्तमान में यूक्रेन में पिछली फसल का लगभग 200 लाख टन अनाज फंसा हुआ है। अगर यह जारी किया जाता है तो वैश्विक बाजारों पर दबाव कम हो सकता है।

    रूस-यूक्रेन युद्ध से जानिए भारत कैसे हो रहा प्रभावित

    रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, खास तौर पर तब जब भारतीय बाजार कोरोना महामारी से उबरने का प्रयास कर रहा है। युद्ध के कारण कच्चे तेल में अपेक्षित वृद्धि महंगाई को बढ़ावा दे रही है। इस कारण पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत आसमान छू रही हैं। दूसरी ओर, इस मौजूदा परिस्थितियों में रुपये के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर होने के कारण भारत का आयात-निर्यात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

    दिसंबर 2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने रूस से करीब 72.47 अरब रुपये का आयात किया। रूस मुख्य तौर पर कच्चे तेल, उर्वरक, प्राकृतिक गैस और रक्षा सामानों का निर्यात भारत को करता है। तो वही भारत यूक्रेन से दवा बनाने के लिए कच्चा माल, सूरजमुखी, जैविक रसायन पदार्थ, प्लास्टिक, लोहा और इस्पात का आयात करता है। इस कारण भारतीय बाजारों में इन सभी चीजों की कीमतों पर बुरा प्रभाव पड़ा हैं।