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    रूस ने बनाया दुनिया का पहला एंटी ड्रोन मिसाइल सिम्युलेटर, जानें क्यों है खास और कैसे करेगा काम?

    By Agency Edited By: Sakshi Pandey
    Updated: Mon, 04 Aug 2025 08:30 AM (IST)

    रूसी दक्षिणी संघीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने एक अनूठा प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म सिम्युलेटर बनाया है। यह सिम्युलेटर एंटी ड्रोन राइफल्स और ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम के साथ काम करने का प्रशिक्षण देगा। यह वर्चुअल युद्ध का माहौल बनाता है जो असली युद्ध जैसा लगता है। इसका उद्देश्य सैनिकों को ड्रोन तकनीक में कुशल बनाना एंटी ड्रोन राइफल का सही इस्तेमाल सिखाना और युद्ध में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना है।

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    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। फाइल फोटो

    एएनआई, मॉस्को। रक्षा के क्षेत्र में रूस ने एक और बड़ा कीर्तिमान हासिल कर लिया है। रूस के दक्षिणी संघीय विश्वविद्यालय (SFU) के छात्रों ने दुनिया का पहला प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म सिम्युलेटर तैयार किया है, जो एंटी ड्रोन राइफल्स और ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम के साथ काम करने में मदद करेगा।

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    अब सवाल यह है कि आखिर यह सिम्युलेटर प्लेटफॉर्म है क्या? दरअसल यह एक वर्चुअल युद्ध का परिदृश्य तैयार करता है, जिसका वातावरण युद्ध जैसा ही लगता है। यह ड्रोन के प्रशिक्षण में काफी काम आता है।

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    कैसे करेगा काम?

    ड्रोन की नई तकनीकी को समझने और युद्ध में ड्रोन के बेहतर इस्तेमाल के लिए इस तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है। उदाहरण के लिए एंट्री ड्रोन गन, डिटेक्टर और ड्रोन्स को युद्ध में कैसे इस्तेमाल करना है? यह सबकुछ इस सिम्युलेटर प्लेटफॉर्म की मदद से सीखा जा सकता है।

    युद्ध का बेहतर प्रशिक्षण

    बेशक यह सिम्युलेटर युद्ध की वर्चुअल दुनिया बनाता है, लेकिन यह दिखने में काफी हद तक असली युद्ध जैसा ही लगता है। इसे बनाने के लिए गेम इंजन का इस्तेमाल किया गया है। इसका मकसद ट्रेनिंग को जितना मुमकिन हो सके उतना रियल बनाना है, जिससे असली युद्ध में इन तकनीकों का सटीक इस्तेमाल किया जा सके।

    क्या होगा फायदा?

    इस प्रोग्राम की मदद से सैनिकों में युद्ध के वास्तविक कौशल का विकास होता है।

    1. एंटी ड्रोन राइफल का सही तरह से इस्तेमाल किया जा सकेगा।
    2. युद्ध में डिटेक्टर्स को बेहतर तरीके से ऑपरेट किया जा सकेगा।
    3. युद्ध के तनाव युक्त माहौल में जल्दी और सही फैसला लेने की क्षमता का विकास होगा।

    प्रशिक्षण के बाद होगा टेस्ट

    इस प्रणाली का सिर्फ प्रैक्टिकल ही नहीं बल्कि थ्योरी वाला हिस्सा भी है, जिसका टेस्ट भी करवाया जाएगा। इस दौरान सैनिकों को वीडियो और वास्तविक युद्ध का प्रशिक्षण देते हुए सिखाया जाएगा कि कम समय में सही फैसला कैसे लेना है।

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