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    India-US Trade Deal पर इस महीने लग सकती है मुहर, क्या अब नहीं पड़ेगी ट्रंप के टैरिफ की मार?

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 07:41 AM (IST)

    भारत और अमेरिका इस महीने के अंत तक एक लाभकारी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए तत्पर हैं। 29 मार्च को तय द्विपक्षीय ढांचे के तहत यह समझौता दोनों देशों के बीच ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देगा हालांकि यह किसी भी देश को अपनी पसंद के तीसरे देश से तेल और गैस खरीदने से नहीं रोकेगा।

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    यह समझौता 29 मार्च को तय किए गए द्विपक्षीय ढांचे के तहत होगा। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका इस महीने के अंत तक एक फायदेमंद व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए जोर-शोर से जुटे हैं।

    यह समझौता 29 मार्च को तय किए गए द्विपक्षीय ढांचे के तहत होगा। हिंदुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच ऊर्जा की खरीद-बिक्री बढ़ सकती है, लेकिन यह किसी भी देश को अपनी पसंद के तीसरे देश से तेल और गैस खरीदने से नहीं रोकेगा।

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    दोनों देशों ने 29 मार्च को नई दिल्ली में पहली व्यक्तिगत वार्ता के दौरान द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए टर्म ऑफ रेफरेंस (टीओआर) को अंतिम रूप दिया था। इसके बाद, 22 अप्रैल को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने भारत दौरे के दौरान इस टीओआर की आधिकारिक घोषणा की और इसे एक्स पर "अंतिम समझौते की दिशा में महत्वपूर्ण कदम" बताया।

    अंतरिम समझौते की हो सकती है घोषणा

    टीओआर दोनों देशों के बीच बीटीए वार्ता के लिए एक सहमति वाला रोडमैप है। इसके तहत अब तक पांच व्यक्तिगत वार्ता और कई वर्चुअल चर्चाएं हो चुकी हैं।

    इन चर्चाओं में दोनों पक्ष इतना आम सहमति बना चुके हैं कि एक अंतरिम समझौते की घोषणा हो सकती है। एक सूत्र ने बताया, "हम अभी वर्चुअल मोड में बातचीत कर रहे हैं और अगस्त में अमेरिकी टीम के भारत आने पर बाकी मतभेद सुलझने की उम्मीद है।"

    अमेरिकी वार्ता दल 24 अगस्त को नई दिल्ली पहुंचेगा और 25 अगस्त से छठे दौर की वार्ता शुरू होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौर के अंत तक कुछ ठोस नतीजे सामने आ सकते हैं, भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत के खिलाफ तीखे बयान दिए हों और टैरिफ की धमकी दी हो।

    कितना ऊर्जा आयात करता है भारत?

    30 जुलाई को ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर अघोषित शुल्क की बात कही। यह भारत के अपने कृषि, डेयरी और लघु, छोटे व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अमेरिकी आयात से बचाने की नीति के जवाब में था। इसके अलावा, भारत के रूस से एक-तिहाई कच्चा तेल आयात करने पर भी ट्रंप ने नाराजगी जताई। 31 जुलाई को उन्होंने ट्रुथ सोशल पर कहा, "मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है, वे अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को साथ ले डूबें।"

    अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) की 6 फरवरी 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में भारत के कुल कच्चे तेल और कंडेनसेट आयात का 39% रूस से, 19% इराक से, 16% सऊदी अरब से, 5% संयुक्त अरब अमीरात से और 4% अमेरिका से था। भारत ने 2023 में 4.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल और कंडेनसेट आयात किया।

    'भारत रूस से खरीदता रहेगा तेल...'

    रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 में अमेरिका और यूरोपीय संघ की ओर से रूस पर प्रतिबंधों के बाद, भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना शुरू किया, जिससे आयात छह गुना बढ़कर 740,000 बैरल प्रतिदिन हो गया। भारत अपनी जरूरत का 87% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है। गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है।

    एक अन्य सूत्र ने कहा, "सस्ता और भरोसेमंद ऊर्जा आपूर्ति भारत की ऊर्जा सुरक्षा की पहली प्राथमिकता है। रूस से सस्ता तेल इस जरूरत को पूरा करता है। हम 39 देशों से ऊर्जा आयात करते हैं और हाल में अमेरिका से आयात बढ़ा है, जो भविष्य में और बढ़ सकता है। लेकिन रूस से आयात किसी बाहरी दबाव में नहीं रुकेगा।"

    (एजेंसी इनपुट्स के साथ)

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