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    चीन को कारों के बदले में रूस दे रहा गेंहू, ट्रंप के टैरिफ का पुतिन-चिनफिंग ने निकाला ऐसा तोड़

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 08:06 PM (IST)

    यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका रूस और चीन पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है जबकि रूस और चीन ने वस्तु विनिमय प्रणाली के माध्यम से इसका समाधान खोज लिया है। रूस चीन को गेहूं अलसी और कच्चा माल भेज रहा है जिसके बदले चीन उसे कारें मशीनरी और घरेलू उपकरण दे रहा है।

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    चीन रूस को अपनी कारें, मशीनरी, घरेलू उपकरण दे रहा (फोटो: रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूक्रेन युद्ध खत्म कराने में जुटा अमेरिका रूस और चीन पर नए प्रतिबंध लागू करने की तैयारी कर रहा है। वहीं रूस और चीन ने मिलकर पहले ही इसकी काट खोज ली है। दोनों देश वस्तु विनिमय प्रणाली के तहत आपसी लेनदेन को बढ़ा रहे हैं। रूस से बड़ी मात्रा में गेहूं और अलसी के अलावा कच्चा माल चीन भेजा जा रहा है, जिसके बदले चीन रूस को अपनी कारें, मशीनरी, घरेलू उपकरण और निर्माण सामग्री सप्लाई कर रहा है।

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    बताया जाता है कि पिछले महीने चीन की हैनान लॉन्गपैन ऑयलफील्ड टेक्नोलॉजी कंपनी ने समुद्री इंजनों के बदले स्टील और एल्युमीनियम मिश्रित धातुओं के व्यापार की संभावनाएं तलाशी हैं। व्यापार स्त्रोतों, सीमा शुल्क सेवाओं के बयानों के आधार पर इस तरह के आठ तरह के लेनदेन की पहचान की गई है।

    चीन में रूसी गेहूं और अलसी की मांग

    सूत्रों के मुताबिक चीनी कारों का रूसी गेहूं के बदले व्यापार किया जा रहा है। हालांकि, इसकी मात्रा का पता नहीं चल सका कि दोनों का किस आधार पर दाम तय किया गया। दो अन्य लेन-देन में, अलसी के बीजों का चीन से घरेलू उपकरणों और निर्माण सामग्री जैसी चीजों के साथ लेनदेन हुआ। चीन में बड़े पैमाने पर रूस के गेहूं और अलसी की मांग रहती है। इसके अलावा चीन से मशीन के बदले रूस से धातुओं का आदान प्रदान हुआ।

    चीन को कच्चा माल उपलब्ध कराने के बदले रूस ने एल्युमीनियम निर्यात किया। बता दें कि 2014 में क्रीमिया को रूस में मिलाने और 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू करने की वजह से रूस पर अमेरिका और यूरोप ने मिलकर 22 हजार से ज्यादा प्रतिबंध लगा रखे हैं। मकसद रूस की 2.2 ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने की थी। इसके अलावा वाशिंगटन ने रूस से तेल खरीदने के विरोध में भारत पर भी प्रतिबंध थोप रखे हैं।

    स्विफ्ट भुगतान प्रणाली से अलग रूस

    हालांकि, पुतिन ने दावा किया है कि पश्चिमी देशों के अनुमानों के विपरीत रूस की अर्थव्यवस्था पिछले दो सालों में जी7 देशों के मुकाबले काफी तेजी से विकास कर रही है। अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध न रोके जाने पर रूस के बैंकों को स्विफ्ट भुगतान प्रणाली से अलग कर दिया था। वहीं चीन के बैंकों को रूस का समर्थन न करने की चेतावनी दी थी। अमेरिकी सेकेंडरी सैंक्शन की आशंका में चीन के बैंकों ने रूस से पैसा लेने से कतरा रहे हैं। इसके चलते दोनों देश वस्तु विनिमय लेनदेन पर राजी हुए हैं, जिनका पता लगाना ज्यादा कठिन होता है।

    2024 में रूस के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने 14 पेज की विदेशी वस्तु विनिमय लेनदेन के लिए गाइड जारी की थी, जिसमें प्रतिबंधों से सुरक्षित रहने के लिए इस पद्धति का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी। चीन ने अमेरिका को चेताया, टैरिफ लगा तो होगा पलटवार चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह जी7 और नाटो देशों के जरिये रूस से तेल लेनेवाले देशों पर टैरिफ लगाने की सलाह देने से परहेज करें, वरना हम भी प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई से बाज नहीं आएंगे।

    चीन ने ट्रंप के दबाव की निंदा की

    चीन ने कहा है कि अमेरिका की एकतरफा धौंस और आर्थिक दबाव की राजनीति का ठोस जवाब दिया जाएगा। स्पेन में आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर चीन और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडलों की मुलाकात के दूसरे दिन चीन की तरफ से ये बयान आया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन की रूस समेत तमाम देशों के साथ सामान्य आर्थिक और ऊर्जा सहयोग पूरी तरह वैधानिक, कानून सम्मत और पारस्परिक है।

    अमेरिका की तरफ से जी7 और नाटो सदस्यों को संयुक्त रूप से चीन पर टैरिफ लगाने से जुड़े एक सवाल पर प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका ने जो किया है, वह एकतरफा, धौंस भरा और आर्थिक दबाव की रणनीति है। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक नियमों पर गंभीर असर पड़ेगा और वैश्विक औद्योगिक और सप्लाई चेन की स्थिरता और सुरक्षा को खतरा पैदा होगा।

    (न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ)

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