मॉस्को के आसमान में दिखा 'फायरबॉल', क्या था कोई हथियार? वैज्ञानिको ने बताया सारा सच
मॉस्को में 27 अक्टूबर 2025 को सुबह एक हरे रंग का चमकता हुआ उल्का दिखाई दिया, जिसे लोगों ने कैमरे में कैद कर लिया। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक 'फायरबॉल' था जो वायुमंडल में जलते हुए टूट गया। इससे कोई नुकसान नहीं हुआ। विशेषज्ञों ने बताया कि उल्का में मौजूद निकल और मैग्नीशियम के कारण इसका रंग हरा था। इसे एक प्राकृतिक घटना बताया गया है।

मॉस्को में रहस्यमय फायरबॉल (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस की राजधानी मॉस्को में 27 अक्टूबर 2025 की सुबह का नजारा लोगों के लिए किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था। आसमान में एक तेज हरे रंग की चमकती गेंद जैसी रोशनी कुछ सेकंड के लिए दिखाई दी, जिसने पूरे शहर का ध्यान खींच लिया। इस नजारे को लोगों ने कैमरे में कैद किया और सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए तरह-तरह के अंदाजे लगाए।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह चमकता हुआ गोला एक ‘फायरबॉल’ यानी बहुत चमकीला उल्का था, जो पृथ्वी के वायुमंडल में जलते हुए टूट गया। इससे कोई नुकसान या चोट की खबर नहीं मिली, जिससे यह सिर्फ एक खूबसूरत खगोलीय दृश्य बनकर रह गया।
इस घटना की तुलना कई विशेषज्ञों ने 2013 में रूस एक क्षेत्रमें गिरे उल्का से की। उस समय करीब 20 मीटर चौड़ा उल्का पृथ्वी के वायुमंडल में 69,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से घुसा था और हवा में फट गया था। इसकी ताकत 400-500 किलोटन TNT के बराबर थी, जो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से लगभग 30 गुना ज्यादा थी। उस धमाके से हजारों खिड़कियां टूट गई थीं और करीब 1,500 लोग घायल हुए थे। हालांकि, इस बार मॉस्को का उल्का बहुत छोटा था और उसने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।
क्यों जलते हैं उल्का हरे रंग में?
वैज्ञानिकों का कहना है कि उल्का में मौजूद निकल (Nickel) और मैग्नीशियम (Magnesium) जैसे धातु जब जलते हैं तो वे हरा रंग पैदा करते हैं। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अगर किसी पुराने उपग्रह के हिस्से में तांबे की तारें हों और वह वायुमंडल में जल जाए, तो वह भी हरे रंग की लौ दिखा सकता है।
रूस के स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक सेर्गी बोगाचेव ने बताया कि यह वस्तु ज्यादातर संभावना से एक छोटा उल्का ही था, जो घर्षण के कारण जलकर टूट गया।
सोशल मीडिया चर्चा तेज
इस नजारे ने सोशल मीडिया पर भी हलचल मचा दी। किसी ने मजाक में लिखा, “थॉर रूस में उतर आया"। तो कुछ ने इसे 'गुप्तहथियार' या यूएफओ बताया। हालांकि विशेषज्ञों ने साफ कहा कि यह एक प्राकृतिक घटना थी, जो कभी-कभी आसमान में देखने को मिलती है।

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