पाकिस्तान में नए कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों का इस्तीफा
पाकिस्तान में संविधान संशोधन के विरोध में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने इस्तीफा दे दिया। नए कानून से सेना के अधिकार बढ़ेंगे और सुप्रीम कोर्ट के अधिकार कम होंगे। जजों ने आरोप लगाया कि यह कानून न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खत्म कर देगा और संविधान की भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह संविधान पर बड़ा हमला है और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाएगा।

तस्वीर का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में संविधान में संशोधन कर नया कानून बनाए जाने के विरोध में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों ने इस्तीफा दे दिया। नए कानून में सेना के अधिकार बढ़ाए जाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के अधिकार कम कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट अब केवल माल और फौजदारी के मामलों की सुनवाई ही कर पाएगा।
संविधान से जुड़े मामलों की निगरानी और उनकी सुनवाई के लिए अलग से कांस्टिट्यूशन कोर्ट गठित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस मंसूर अली शाह और जस्टिस अतहर मिनाल्लाह ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा संसद से पारित 27 वें संविधान संशोधन विधेयक को स्वीकृति देने के कुछ घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया।
क्या लगा था आरोप?
उन्होंने आरोप लगाया है कि नया कानून संविधान की भावना के खिलाफ है और यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खत्म कर देगा। जस्टिस शाह ने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि यह संशोधन पाकिस्तान के संविधान पर बड़ा हमला है। इससे सुप्रीम कोर्ट का न्यायपालिका पर से प्रशासनिक नियंत्रण खत्म हो जाएगा। इससे देश के लोकतंत्र का बड़ा नुकसान होगा। नई व्यवस्था में कार्य करने में खुद को अक्षम पा रहा हूं, इसलिए पद छोड़ रहा हूं।
जबकि जस्टिस मिनाल्लाह ने कहा है कि उन्होंने संविधान की रक्षा की शपथ ली थी लेकिन जब उसे ही नुकसान पहुंचाया जा रहा है तो वह पद पर नहीं रह सकते। यह उनकी याद में संसद द्वारा संविधान को पहुंचाया गया सबसे बड़ा नुकसान है। संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को नेशनल असेंबली में विपक्ष के कड़े विरोध के बीच दो तिहाई बहुमत से पारित किया गया था। उससे पहले सोमवार को सीनेट ने इस विधेयक को पारित किया था।

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