क्या शेख हसीना को होगी फांसी की सजा? अदालत में बोली यूनुस सरकार- पूर्व पीएम ने ही दिया था नरसंहार का आदेश
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और अन्य पर सामूहिक हत्या के आरोप लगाए हैं जिनमें छात्रों के विरोध प्रदर्शनों पर हिंसक कार्रवाई भी शामिल है। न्यायाधिकरण ने हसीना और तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को जमात-ए-इस्लामी पार्टी का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया है।
एजेंसी, ढाका। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और दो अन्य लोगों पर सामूहिक हत्या सहित कई आरोपों में अभियोग लगाया। इन आरोपों में पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर हिंसक कार्रवाई में उनकी कथित भूमिका शामिल है।
बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार न्यायाधिकरण की कार्यवाही का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया। छात्र आंदोलन के बाद पिछले साल पांच अगस्त को अपदस्थ की गईं हसीना बांग्लादेश में कई मामलों का सामना कर रही हैं।
'हम आरोपों को संज्ञान में लेते हैं'
बहरहाल, अभियोजन पक्ष की टीम की ओर से औपचारिक रूप से हसीना और दो अन्य पर बल प्रयोग से विरोध प्रदर्शनों को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाए जाने के बाद तीन जजों वाली पीठ ने कहा, ''हम आरोपों को संज्ञान में लेते हैं।''
न्यायाधिकरण ने एक साथ हसीना और तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल के खिलाफ एक नया गिरफ्तारी वारंट जारी किया। तीसरे आरोपित तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को व्यक्तिगत रूप से मुकदमे का सामना करने के लिए हिरासत में लिया गया है।
ICT-बांग्लादेश कानून के तहत, अगर दोषी ठहराया जाता है तो शेख हसीना और सह-आरोपी को मौत की सजा हो सकती है।
'जमात-ए-इस्लामी' का पंजीकरण बहाल, अब लड़ सकती है चुनाव
दूसरी ओर, बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को चुनाव आयोग को दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया। कोर्ट का यह आदेश अंतरिम सरकार द्वारा इस पर प्रतिबंध हटाए जाने के लगभग आठ महीने बाद आया है। इसके साथ ही भविष्य के चुनावों में अब पार्टी के भाग लेने का रास्ता साफ हो गया है।
कोर्ट के अधिकारियों ने बताया कि चीफ जस्टिस सैयद रेफात अहमद के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय डिवीजन ने चुनाव आयोग को पार्टी का पंजीकरण बहाल करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अब यह चुनाव आयोग पर निर्भर है कि वह तय करे कि जमात अपने पारंपरिक ''तराजू'' प्रतीक का उपयोग करके चुनाव लड़ सकती है या नहीं।
(पीटीआई इनपुट के साथ)
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