क्या 'कट्टर जमात' संभालेगी बांग्लादेश की सत्ता? पड़ोसी मुल्क के सुप्रीम कोर्ट ने दिया अजीबोगरीब फैसला
बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन फिर से मजबूत हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी का पंजीकरण बहाल कर दिया है जिससे उसे चुनावों में भाग लेने की अनुमति मिल गई है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में इस पार्टी पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के चलते बैन लगाया गया था। अदालत ने चुनाव आयोग को जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में पिछले साल सत्ता परिवर्तन के बाद से कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन फिर से ताकतवर होते जा रहे हैं। इसी बीच बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसकी काफी चर्चा हो रही है। कोर्ट ने देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी का पंजीकरण बहाल कर दिया। वहीं, पार्टी को चुनावों में भाग लेने की अनुमति भी मिल गई।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान इसकी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के चलते बैन लगाया गया था। मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दक्षिणपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी का पार्टी पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश सैयद रिफात अहमद की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय खंड ने यह निर्देश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पारंपरिक चुनाव चिन्ह "तराजू" के तहत चुनाव लड़ने की अनुमति देना चुनाव आयोग (EC) के विवेक पर निर्भर करेगा।
आतंकी अजहरुल इस्लाम को किया गया रिहा
हाल ही में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी के आतंकी को रिहा कर दिया है। इस आतंकी का नाम अजहरुल इस्लाम है। इस मौलाना, 1971 में किए रेप, हत्या और अपहरण जैसे युद्ध अपराध की सजा काट रहा था।
उसे अवामी लीग सरकार में साल 2012 में गिरफ्तार किया गया था। उसने पाकिस्तान सेना के साथ मिलकर 1,256 लोगों की हत्या, 17 लोगों का अपहरण और करीब 13 महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया था। इस घटना से मोहम्मद युनूस सरकार की काफी आलोचना हो रही है।
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