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    Pakistan Crisis: आर्थिक मंदी के बीच कैबिनेट का विस्तार करेंगे PM शहबाज शरीफ, विपक्ष ने की फैसले की आलोचना

    By Jagran NewsEdited By: Versha Singh
    Updated: Sat, 11 Feb 2023 02:14 PM (IST)

    पाकिस्तान आर्थिक संकट की स्थिति से गुजर रहा है। लगातार पेट्रोल खाना और अन्य समानों की तंगी के बीच पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने कैबिनेट का विस्तार करने का फैसला किया है। जिसके बाद से लगातार उनके इस फैसले की निंदा हो रही है।

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    आर्थिक मंदी के बीच कैबिनेट का विस्तार करेंगे PM शहबाज शरीफ

    इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान गले तक कर्ज में डूबा हुआ है। पाकिस्तान को न IMF से राहत मिल रही है न ही उसके देश की स्थिति में कोई सुधार हो रहा है। लेकिन इन सब के बाद भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने कैबिनेट के विस्तार के संकेत दिए हैं। जिसके बाद उनकी आलोचना हो रही है।

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    वहीं, पिछले साल अप्रैल में सत्ता में काबिज पीएम शहबाज शरीफ अपने विशेष सहायकों भर्ती करने और मंत्रिमंडल के लगातार विस्तार की वजह से विपक्ष को सवाल करने का मौका दे दिया है।

    एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, पिछले साल अप्रैल में सत्ता में आने के बाद से शरीफ मितव्ययिता की मांग कर रहे हैं, लेकिन स्पष्ट मानदंड और प्रक्रिया को अपनाए बिना प्रधानमंत्री के विशेष सहायकों के रूप में अधिक लोगों को शामिल करके मंत्रिमंडल के लगातार विस्तार के कारण कई लोग नाराज दिखाई दे रहे हैं।

    पूर्व सीनेटर और वकील मुस्तफा नवाज खोखर और पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और बोर्ड ऑफ इंवेस्टमेंट ऑफ पाकिस्तान (बीओआई) के अध्यक्ष हारून शरीफ सहित अन्य लोग भी इस अवसर पर मौजूद थे।

    पीएमएल-एन के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन पर जनता से अलग होने का आरोप लगाते हुए सबसे खराब वित्तीय संकट के बीच कैबिनेट के आकार को कम करने का आह्वान किया।

    पूर्व सीनेटर ने कहा कि सरकार ने ऐसे समय में कई और एसएपीएम (SAPM) की नियुक्ति करके वास्तविक असंवेदनशीलता दिखाई है जब देश अपने इतिहास में सबसे खराब वित्तीय संकट से गुजर रहा है।

    आम आदमी के पास सम्मान के साथ अपने दैनिक जीवन को आगे बढ़ाने के लिए कोई वित्तीय स्थान नहीं बचा है।

    द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, गठबंधन सरकार के संघीय मंत्रिमंडल में 85 सदस्यों की सूजन पर प्रतिक्रिया देते हुए खोखर ने कहा कि इससे पता चलता है कि सत्तारूढ़ एलिट्स के ना केवल स्वर बहरे हैं बल्कि आम जनता से इस हद तक अलग हो गए हैं कि उन्हें उन विकल्पों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी जिन्हें लोगों को रसोई के खर्चों को पूरा करने के साथ-साथ उनके बिलों, रेंट और बच्चों के स्कूल फीस का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा था।

    सरकार के मंत्रियों के इस दावे पर कि नई नियुक्तियों से राष्ट्रीय खजाने पर बोझ नहीं पड़ेगा। खोखर ने कहा कि सरकार नई नियुक्तियों के बारे में कह सकती है कि राजकोष पर कोई बोझ नहीं है, लेकिन उन्हें कार्यालय और इसके साथ आने वाली सामग्री दी जाएगी। उन्होंने कहा, यह दिखावा सिर्फ आंखों में धूल झोंकने वाला है।

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