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    15th Amendment in Act 1974: क्या है पाकिस्तान का 15वां संशोधन, जिसे लेकर पीओके में मचा है बवाल; सामाजिक कार्यकर्ता कर रहे निंदा

    By Achyut KumarEdited By:
    Updated: Wed, 10 Aug 2022 11:13 AM (IST)

    15th Amendment पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को प्रांतीय दर्जा देने के पाकिस्तानी सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता शब्बीर चौधरी ने कहा कि इस कदम के साथ पाकिस्तान इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है।

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    15th Amendment: पीओके एक्टिविस्ट शब्बीर चौधरी (फोटो- एएनआइ)

    मुजफ्फराबाद (पीओके), एजेंसी। 15th Amendment: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) को प्रांतीय दर्जा देने के पाकिस्तानी सरकार के प्रस्ताव का क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता शब्बीर चौधरी ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इस कदम से पाकिस्तान इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने लोगों से इसके खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया।

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    राजनेता क्षेत्र के लोगों को बना रहे बेवकूफ

    सामाजिक कार्यकर्ता की ये टिप्पणी अधिनियम 1974 में 15वें संशोधन पर आई है, जिसके जरिए पाकिस्तान पीओके को प्रांतीय दर्जा देना चाहता है। हालांकि, कार्यकर्ता इस पर कड़ी नाराजगी दिखा रहे हैं और कह रहे हैं कि राजनेता क्षेत्र के लोगों को यह कहकर बेवकूफ बना रहे हैं कि उन्हें इस बदलाव से फायदा होगा।

    कार्यकर्ता शब्बीर चौधरी ने कहा, 'पाकिस्तान अपनी साम्राज्यवादी और रणनीतिक खेल योजना को पूरा करना चाहता है जिसे उसने अक्टूबर 1947 में शुरू किया था। यह साम्राज्यवादी एजेंडा इस्लाम के नाम पर शुरू हुआ।'

    साम्राज्यवादी एजेंडे को छिपाने के लिए पाकिस्तान कर रहा इस्लाम का इस्तेमाल

    शब्बीर ने कहा कि पाकिस्तान अपने साम्राज्यवादी एजेंडे को छिपाने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहा है। 22 अक्टूबर 1947 से पीओके के लोग स्वतंत्र या मुक्त होने के झूठे अर्थों में जी रहे हैं। उन्होंने पीओके क्षेत्र के लोगों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा, 'बचपन से ही, सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तंत्र के माध्यम से हमारे बच्चों का ब्रेनवाश किया जाता है या उन्हें पाकिस्तान का एक अच्छा गुलाम बनने के लिए शिक्षित किया जाता है।'

    ऋण अधिकारी पीओके क्षेत्र को करते हैं नियंत्रित

    सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि इस क्षेत्र में लोगों के जीवन के सभी मामलों को वहां तैनात चार पाकिस्तानियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिन्हें 'ऋण अधिकारी' के रूप में जाना जाता है। ये पाकिस्तानी उच्च वेतन पर प्रतिनियुक्त हैं। वे इस क्षेत्र में पाकिस्तानी हितों की रक्षा करते हैं और इस क्षेत्र के मामलों को नियंत्रित करते हैं। ये उधार अधिकारी आईजी पुलिस, मुख्य सचिव, वित्त सचिव, महालेखाकार हैं।

    शब्बीर चौधरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पीओके के सभी अधिकारी, किसी भी पद के लिए आवेदन करने से पहले, पाकिस्तान के प्रति अपनी निष्ठा की कसम खाने के लिए मजबूर होते हैं। उन्होंने कहा कि मुरी में जनरल आफिसर कमांडिंग बैठता है, जिसे आम तौर पर जीओसी मुरी के रूप में जाना जाता है, वह सभी राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक मामलों को नियंत्रित करता है।'

    पीओके में ISI का है हस्तक्षेप

    इसके अलावा, कार्यकर्ता ने यह भी खुलासा किया कि पीओके के क्षेत्रीय मामलों में पाकिस्तान की कुलीन गुप्त एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का हस्तक्षेप है। उन्होंने बताया कि आईएसआई न केवल इस क्षेत्र को नियंत्रित करता है, बल्कि पाकिस्तान की राजनीतिक सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक जीवन के कई अन्य पहलुओं को भी नियंत्रित करता है।

    लोगों को किया जा रहा अगवा

    कार्यकर्ता ने बताया कि इसके अलावा, कई अन्य गुप्त एजेंसियां भी ​​​​हैं जो पीओके में स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और लोगों को अगवा कर रही हैं, गिरफ्तार कर रही हैं, प्रताड़ित कर रही हैं या यहां तक ​​कि लोगों की हत्या भी कर रही हैं। इसके अलावा, एक कश्मीर परिषद है, जिसके सात सदस्य पाकिस्तानी हैं। परिषद द्वारा पारित सभी कानूनों को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। पीओके विधानसभा को इन कानूनों का विरोध या इन्हें अस्वीकार करने का कोई अधिकार नहीं है।

    15 वां संशोधन पीओके की अलग पहचान के ताबूत में होगी आखिरी कील

    15वें संशोधन को पीओके की अलग पहचान के ताबूत में आखिरी कील बताते हुए कार्यकर्ता ने कहा कि प्रस्तावित बदलावों के खिलाफ भारी जन आक्रोश है और पीओके के हर नुक्कड़ पर प्रदर्शन हो रहे हैं। 'मानसिक गुलाम' पीओके विधानसभा पाकिस्तानी प्रस्ताव को ठुकराने या चुनौती देने की हिम्मत नहीं करेगी।

    'हमारी ही बिजली हमें अधिक दामों में बेची जाती है'

    लोगों की दुर्दशा पर बोलते हुए, चौधरी ने कहा कि उनके हितों की रक्षा के लिए उनके पास कोई विदेशी कार्यालय नहीं है और वे संयुक्त राष्ट्र या किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय मंच में पीओके विवाद का प्रतिनिधित्व भी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 'हमारे क्षेत्र से उत्पन्न सभी बिजली पाकिस्तान के 'नेशनल ग्रिड' में जाती है और पाकिस्तान में उपभोक्ताओं को बेची जाती है। वे हमारी बिजली भी पाकिस्तानी उपभोक्ताओं को तुलना में हमें प्रति यूनिट बहुत अधिक कीमत पर बेचते हैं।'

    शब्बीर ने कहा कि 'हमारी बिजली की आवश्यकता 380 मेगावाट है, लेकिन हमें वह भी नहीं मिलती है। हमारे लोगों को 18 घंटे तक लोड शेडिंग सहना पड़ता है, जिससे जीवन अत्यंत कठिन हो जाता है। पाकिस्तान हमारी बिजली को बंद करना चाहता है। वह हमारी इंटरनेट और मोबाइल सिग्नल को बंद कर सकते हैं।' 

    उन्होंने कहा कि यदि 15वां संशोधन पारित हो जाता है, तो उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी और इन नियुक्तियों को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

    पीओके की संपत्तियों का प्रबंधन करेगी परिषद

    सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि पीओके की 80 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का प्रबंधन परिषद द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र पाकिस्तानी राजनीतिक दलों, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और गुप्त एजेंसियों द्वारा नियंत्रित है।

    'मुजफ्फराबाद में होना चाहिए मजबूत आंदोलन'

    शब्बीर ने लोगों से अपने मौलिक अधिकारों,  पीओके की पहचान और उसके भविष्य को बचाने के लिए खड़े होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पीओके के सभी हिस्सों में, विशेष रूप से मुजफ्फराबाद में एक मजबूत आंदोलन होना चाहिए।