हज के लिए पैदल निकले भारतीय के पक्ष में पाकिस्तानी, ट्रांजिट वीजा के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
शिहाब छोटूर जून 2023 में हज करने के लिए केरल में अपने गृहनगर से मक्का तक की 8640 किलोमीटर की यात्रा पर निकले थे। वह भारत पाकिस्तान ईरान इराक और कुवैत की यात्रा करने के बाद 2023 में हज के लिए मक्का पहुंचना चाहते थे।

लाहौर, पीटीआई। हज के लिए पैदल निकले भारतीय की मदद के लिए पाकिस्तान के एक व्यक्ति ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने सुप्रीम कोर्ट में लाहौर हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें हाई कोर्ट ने 29 वर्षीय भारतीय के लिए ट्रांजिट वीजा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। भारत के नागरिक ने पाकिस्तान में प्रवेश के लिए ट्रांजिट वीजा की मांग की थी। भारतीय हज यात्रा के लिए सऊदी अरब में मक्का तक पैदल यात्रा करना चाहता है।
याचिकाकर्ता और लाहौर निवासी सरवर ताज का तर्क
याचिकाकर्ता और लाहौर निवासी सरवर ताज ने याचिका में तर्क दिया कि जिस तरह पाकिस्तान सरकार बाबा गुरु नानक देव की जयंती के दौरान कई भारतीय सिखों को वीजा जारी करती है। अन्य अवसरों और हिंदुओं को देश में पवित्र स्थानों की यात्रा करने के लिए वीजा जारी किया जाता है उसी तरह भारतीय मुस्लिम को भी वीजा मिले ताकि वह पाकिस्तान के रास्ते पैदल हज यात्रा कर सऊदी अरब पहुंच सके।
क्या है पूरा मामला
शिहाब छोटूर जून 2023 में हज करने के लिए केरल में अपने गृहनगर से मक्का तक की 8640 किलोमीटर की यात्रा पर निकले थे। वह भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और कुवैत की यात्रा करने के बाद 2023 में हज के लिए मक्का पहुंचना चाहते थे। हालांकि उन्हें पाकिस्तान के आव्रजन अधिकारियों ने अक्टूबर में वाघा सीमा पर रोक दिया था क्योंकि उनके पास वीजा नहीं था। शिहाब ने आव्रजन अधिकारियों से अनुरोध किया कि वह पैदल ही हज करने जा रहे हैं क्योंकि वह पहले ही 3000 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं और उन्हें मानवीय आधार पर देश में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए। पिछले महीने लाहौर हाई कोर्ट ने शिहाब की ओर से सरवर द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था ।

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