ईश निंदा मामले में पाकिस्तानी अदालत ने मुस्लिम महिला की मौत की सजा पलटी, किया बरी
पाकिस्तान की एक अदालत ने ईश निंदा के आरोप में एक मुस्लिम महिला को दी गई मौत की सजा को पलटते हुए उसे बरी कर दिया है। लाहौर उच्च न्यायालय ने सबूतों की कमी और प्रक्रियात्मक त्रुटियों के कारण निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया। महिला पर कुरान का अपमान करने का आरोप था, जिसके बाद उसे 2020 में गिरफ्तार किया गया था। मानवाधिकार समूहों ने फैसले का स्वागत किया है।

अदालत। (प्रतीकात्मक)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तानी की एक अदालत ने उच्च-प्रोफाइल ईशनिंदा मामले में मौत की सजा की दोषी एक मुस्लिम महिला को बरी कर दिया है। अदालत ने अभियोजन पक्ष के मामले में गंभीर प्रक्रियात्मक कमियों का हवाला दिया।
अदालत के अधिकारी ने बताया कि आनिका अतीक को जनवरी, 2022 में रावलपिंडी में संघीय जांच एजेंसी (एफआइए) की विशेष अदालत द्वारा शिकायतकर्ता हसनात फारूक को ईशनिंदा संदेश भेजने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। फारूक की शिकायत पर एफआइए ने 2020 में आनिका को गिरफ्तार किया था। लाहौर हाई कोर्ट की रावलपिंडी बेंच ने उसकी अपील सुनने के बाद सजा को पलटा।
जस्टिस सादिकत अली खान की दो सदस्यीय बेंच ने नोट किया कि अभियोजन पक्ष आरोपित के खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा। आनिका ईशनिंदा मामले में मौत की सजा वाली पहली मुस्लिम महिला और कुल तीसरी महिला माना जाता है। अन्य दो आसिया बीबी और शगुफ्ता बीबी ईसाई हैं।
कोर्ट ने आनिका को बरी किया
जस्टिस खान ने अभियोजन से कहा कि जब आरोपित के खिलाफ कोई सुबूत नहीं है, तो उसे मौत की सजा कैसे दी जा सकती है?''अदालत ने बाद में आनिका की मौत की सजा के खिलाफ अपील स्वीकार की और उसे बरी करने का आदेश दिया।
अफगान पुरुषों को पाकिस्तानी नागरिकता देने का फैसला निलंबित
शीर्ष अदालत ने एक उच्च न्यायालय के निर्णय को निलंबित कर दिया, जिसने अफगान पुरुषों को पाकिस्तानी महिलाओं से विवाह के आधार पर पाकिस्तानी नागरिकता दी थी। जस्टिस शाहिद वाहिद की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने अफगान नागरिकों को पाकिस्तान मूल कार्ड (पीओसी) जारी करने के मामले की सुनवाई के दौरान यह निर्णय लिया। बेंच ने पेशावर उच्च न्यायालय के निर्णय को निलंबित कर दिया।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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