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    सिंधु जल संधि: बूंद-बूंद को तरस रहा पाकिस्तान घुटनों पर आया, अब खड़ी हो गई ये नई परेशानी; जल-मंथन में जुटा PAK

    Pakistan water crisis पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान जल संकट से निपटने के लिए मंथन कर रहा है। भारत के हाथों हाल में मिली हार के बाद पाकिस्तान शोधकर्ताओं की मदद ले रहा है। कराची में पाकिस्तान इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल अफेयर्स ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर एक सेमिनार आयोजित किया।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Sun, 25 May 2025 09:56 PM (IST)
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    पाकिस्तान अपने शोधकर्ताओं के परामर्श के सहारे जल संकट से उबरने की कवायद कर रहा है।

    जेएनएन, नई दिल्ली। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से सिंधु जल संधि निलंबित किए जाने के परिणामस्वरूप पानी की भारी किल्लत से कराहता पाकिस्तान अब मौजूदा स्थिति और चुनौती से निपटने के लिए जल-मंथन में जुट गया है। भारत के हाथों हाल के संघर्ष में बुरी तरह पिटने के बाद पड़ोसी देश अपने शोधकर्ताओं के परामर्श के सहारे जल संकट से उबरने की कवायद कर रहा है।

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    'डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार, इस बाबत कराची में पाकिस्तान इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल अफेयर्स (पीआइआइए) ने 'भारत-पाकिस्तान संघर्ष' पर एक सेमिनार का आयोजन किया। पीआइआइए की अध्यक्ष डॉ. मासूमा हसन ने कहा कि पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते को निलंबित कर दिया।

    हाल के संघर्ष के बारे में हर वर्ग खासकर युवाओं की आवाजों को सुनने की जरूरत है। इसलिए हमने अपने शोध सहायकों को विचार-विमर्श के लिए बुलाने का फैसला किया। इसमें मोहम्मद उस्मान, सैयदा मलीहा सेहर, सफा रहमत, सैयद शहरयार शाह, आसिफ अली और साद असद ब्रोही जैसे जाने-माने शोध सहायक शामिल हुए।

    डॉ. मासूमा हसन, अध्यक्ष, पीआइआइए

    'बाढ़ का खतरा हो सकता है पैदा'

    मोहम्मद उस्मान ने 'जल संपदा और संसाधन' पर एक शोधपत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि अगर भारत, पाकिस्तान के लिए पानी का प्रवाह रोक देता है तो इससे उसके अपने ही ऊपरी इलाकों में बाढ़ आने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा, "लेकिन, अगर वे सूखे मौसम के दौरान हमारा पानी रोक देते हैं तो यह हमारे लिए चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि पानी का प्रवाह कम होता है और भंडारण सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह हमारे किसानों को प्रभावित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप कम पैदावार हो सकती है।"

    उन्होंने कहा, "यदि भारत हमारा पानी रोक देता है तो इसके लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी, जिसके निर्माण में वर्षों लगेंगे और इसके लिए अरबों डालर की भी आवश्यकता होगी। जहां तक पानी के 'सशस्त्रीकरण' या 'वाटर बम' की बात है तो जब ऊपरी तटवर्ती देश पानी के प्रवाह को अवरुद्ध करता है और फिर अचानक निचले तटवर्ती देश को सूचित किए बिना विशाल मात्रा में पानी छोड़ देता है तो इससे भयावह बाढ़ आ जाती है।

    उन्होंने कहा, "यहां पाकिस्तान और भारत के मामले में, पाकिस्तान निचला तटवर्ती देश है और भारत ऊपरी तटवर्ती देश है। लेकिन चीन और भारत के मामले में खासकर ब्रह्मपुत्र की दृष्टि से चीन ऊपरी तटवर्ती देश है और भारत निचला तटवर्ती देश है। चीन भी भारत के पानी को रोक सकता है।''

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