Move to Jagran APP

पाकिस्‍तान की राजनीति में ISI और सेना की दखल नहीं रोक सकेगा सुप्रीम कोर्ट!

पाकिस्‍तान की राजनीति में आईएसआई और सेना की दखल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उन्‍हें चेता तो दिया है लेकिन कोर्ट इसको क्‍या लागू करवा पाएगा। यह एक बड़ा सवाल है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 01:29 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 02:30 PM (IST)
पाकिस्‍तान की राजनीति में ISI और सेना की दखल नहीं रोक सकेगा सुप्रीम कोर्ट!
पाकिस्‍तान की राजनीति में ISI और सेना की दखल नहीं रोक सकेगा सुप्रीम कोर्ट!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पाकिस्‍तान की सुप्रीम कोर्ट ने खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना को सियासत से अलग रहने का निर्देश दिया है। राजनीतिक हलकों में इस आदेश का खासा महत्‍व है, लेकिन यह बात भी ध्‍यान रखने वाली इस तरह का फैसला कोर्ट ने पहली बार नहीं दिया है। पहले भी कोर्ट आईएसआई और सेना को लेकर तिखी टिप्‍पणी की है। लेकिन इन सभी के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस आदेश का कितना असर इन दोनों पर पड़ता है।

loksabha election banner

जहां तक जानकारों की राय है तो वह मानते हैं कि सेना और आईएसआई के बिना पाकिस्‍तान में कोई भी सरकार न तो आती है और न ही ज्‍यादा समय तक रह सकती है। जहां तक आईएसआई और सेना की बात है तो हमेशा से ही पाकिस्‍तान में इनका दबदबा रहा है। इसकी एक वजह ये भी है कि पाकिस्‍तान में अधिकतर शासन सेना के ही हाथों में रहा है। वहीं आईएसआई का काम सेना की सहायता करना रहा है। यही वजह है कि यह दोनों एक ही सिक्‍के के दो पहलू हैं।

आपको यहां पर बता दें कि जिस आईएसआई पर पाकिस्‍तान की सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं उसपर मुंबई हमले का आरोपी डेविड हेडली भी आरोप लगा चुका है। उसने कहा था कि आईएसआई आतंकवादी संगठनों को वित्तीय और सैनिक मदद देती है। जहां तक सुप्रीम कोर्ट की बात है तो पिछले वर्ष भी इसी तरह की बात उस वक्‍त सामने आई थी जब कोर्ट ने आईएसआई पर तंज कसते हुए कहा था कि आप देश की सर्वोच्‍च एजेंसी हैं लिहाजा देश को मजाक का जरिया न बनाए तो बेहतर होगा। कोर्ट ने देश में हो रहे विरोध के फलस्‍वरूप इस तरह का तंज कसा था। आईएसआई की पाकिस्‍तान में अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष आईएसआई पर तंज कसने के चलते हाईकोर्ट के जज शौकत अजीज सिद्दकी को पद से हटा दिया गया था।

आपको यहां पर बता दें कि पाकिस्‍तान में इमरान खान की सरकार आने के बाद इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि उन्‍हें सत्ता तक पहुंचाने में आईएसआई और सरकार की ही हाथ रहा है। उस वक्‍त भी जानकारों की राय थी कि इमरान खान जब तक इनके इशारे पर काम करते रहेंगे तब तक सरकार में बने रहेंगे, जब उन्‍होंने इनके खिलाफ अलग सुर अपनाया तो वह सत्ता से बेदखल कर दिए जाएंगे। इसको बात की पुष्टि के लिए मियां नवाज शरीफ का उदाहरण काफी हद तक सटीक बैठता है। वर्तमान में नवाज शरीफ और उनकी बेटी जेल में बंद हैं और उनके बेटे और भाई पर मुकदमा चल रहा है। जहां तक नवाज की बात है तो उन्‍होंने जब जब सेना और आईएसआई पर नकेल कसने की कोशिश की तब-तब उन्‍हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। इनमें से एक बार कभी उनके अधीन रहे जनरल परवेज मुशर्रफ ने ही उनकी सरकार का तख्‍ता पलट कर उन्‍हें निर्वासित कर दिया था। इस तरह की चीजें पाकिस्‍तान में कोई नई नहीं रही हैं। नवाज उन नेताओं में शामिल हैं जिन्‍होंने कभी भी प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। हर बार उन्‍हें सत्‍ता से हटा दिया गया।

जुल्‍फीकार अली भुट्टो की सरकार का भी तख्‍तापलट आईएसआई की मिलीभगत के बाद सेना के तत्‍कालीन जनरल जिया उन हक ने किया था। इसके बाद भुट्टो को फांसी दे दी गई थी। भुट्टो की बेटी बेनजीर के साथ भी नवाज की तरह ही हुआ। वह दो बार देश की प्रधानमंत्री बनीं लेकिन कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं। जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार के दौरान वह भी देश छोड़कर दुबई चली गई थीं। 2007 में जब वह वापस लौंटी तो उनकी हत्‍या करवा दी गई। मुशर्रफ पर उनकी हत्‍या का आरोप लगाया जाता है। बेनजीर की हत्‍या में आईएसआई की तरफ भी अंगुलियां उठती रही हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि आसिफ अली जरदारी पाकिस्‍तान के पहले ऐसे निर्वाचित राष्‍ट्रपति रहे हैं जिन्‍होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.