अफगानिस्तान ने दबाई दुखती रग तो तड़प उठा पाकिस्तान, अफगान राजदूत को क्यों भेजा समन?
पाकिस्तान ने भारत और अफगानिस्तान के संयुक्त बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है, खासकर जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में। अफगान राजदूत को तलब करके पाकिस्तान ने अपनी नाराजगी व्यक्त की। अफगानिस्तान ने पहलगाम हमले की निंदा की थी, जिसपर पाकिस्तान ने आतंकवाद को अपना आंतरिक मामला बताने के दावे को खारिज किया। पाकिस्तान ने अनधिकृत अफगान नागरिकों की वापसी पर भी जोर दिया है।

आमिर खान मुत्ताकी और एस. जयशंकर।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत-अफगानिस्तान के संयुक्त बयान पर पाकिस्तान ने कड़ी आपत्तियां व्यक्त कीं। इसके साथ ही अफगान राजदूत को तलब किया है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे और छह दिवसीय भारत दौरे पर हैं।
विदेश कार्यालय (एफओ) ने एक बयान में कहा कि अतिरिक्त विदेश सचिव (पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान) ने संयुक्त बयान में जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में अफगान दूत को पाकिस्तान की "कड़ी आपत्तियों" से अवगत कराया।
क्या बोला पाकिस्तान?
विदेश कार्यालय ने कहा, "यह बताया गया कि जम्मू एवं कश्मीर को भारत का हिस्सा बताना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन है।"
संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, अफगानिस्तान ने अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है और भारत सरकार और वहां की जनता के प्रति संवेदना और एकजुटता व्यक्त की है। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय देशों से उत्पन्न सभी आतंकवादी कृत्यों की स्पष्ट रूप से निंदा की और क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आपसी विश्वास को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया।
'अपने दायित्वों से मुक्त नहीं हो सकते'
इस्लामाबाद ने मुत्ताकी के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि आतंकवाद पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा है। वक्तव्य में इस बात पर जोर दिया गया कि आतंकवाद को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर डालने से अफगान अंतरिम सरकार क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के अपने दायित्वों से मुक्त नहीं हो सकती।
विदेश कार्यालय ने कहा कि देश ने चार दशकों से भी अधिक समय तक लगभग 40 लाख अफगानों की मेजबानी की है। पाकिस्तान ने दोहराया कि देश में रह रहे अनधिकृत अफगान नागरिकों को स्वदेश लौट जाना चाहिए।
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