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    पाकिस्तान के संविधान में होने जा रहा ये बड़ा बदलाव, मुनीर को मिलेगी 'असीम' पावर

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 04:25 PM (IST)

    पाकिस्तान में संविधान संशोधन की योजना से सेना को अधिक शक्ति मिलने की आशंका है। शहबाज शरीफ 27वां संशोधन पेश करेंगे, जिससे सेना प्रमुख की नियुक्ति और सशस्त्र बलों की कमान पर नियंत्रण मजबूत होगा। बिलावल भुट्टो जरदारी के ट्वीट के बाद अटकलें शुरू हुईं, जिसकी पुष्टि इशाक डार ने की। आलोचकों का मानना है कि इससे आसिम मुनीर की पकड़ मजबूत होगी।

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    पाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्या पाकिस्तान में सेना शासन करने वाली है? यह सवाल उठ रहा है क्योंकि आतंकी देश अपने संविधान में संशोधन की योजना बना रहा है। इसके बाद सेना को और अधिक ताकत मिल जाएगी।

    शहबाज शरीफ ने पुष्टि की है कि वह जल्द ही संसद में 27वां संविधान संशोधन पेश करेगी, जिसमें सशस्त्र बलों की कमान से संबंधित प्रस्तावित बदलाव शामिल हैं। आलोचकों को इस बात का डर है कि इस कदम के बाद पाकिस्तान पर आसिम मुनीर की पकड़ और ज्यादा मजबूत हो जाएगी।

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    बिलावल के ट्वीट के बाद लगाई जाने लगीं अटकलें

    संविधान में बदलाव के बारे में अटकलें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी के एक ट्वीट के बाद शुरू हुईं, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने 27वें संशोधन के लिए समर्थन के लिए उनसे संपर्क किया है।

    इसके अलावा पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार ने मंगलवार को पाकिस्तानी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में बोलते हुए इन रिपोर्टों की पुष्टि की। उन्होंने कहा, "बेशक, सरकार इसे ला रही है और लाएगी। 27वां संशोधन आएगा और आने ही वाला है। हम इसे सिद्धांतों, कानूनों और संविधान के अनुसार पेश करने की कोशिश करेंगे।"

    प्रस्तावित संशोधन में क्या है?

    पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 27वें संशोधन के तहत प्रस्तावित परिवर्तनों में संविधान के अनुच्छेद 243 में परिवर्तन शामिल है, जो सेना प्रमुख की नियुक्ति और सशस्त्र बलों की कमान को नियंत्रित करता है।

    प्रस्ताव में कथित तौर पर संवैधानिक न्यायालयों की स्थापना, मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, कार्यकारी मजिस्ट्रेटों की बहाली और न्यायाधीशों के स्थानांतरण का मामला भी शामिल था।

    इसमें संघीय संसाधनों में प्रांतों की हिस्सेदारी को कम करने, शिक्षा और जनसंख्या कल्याण मंत्रालयों का नियंत्रण प्रांतों से संघीय सरकार को सौंपने तथा राष्ट्रीय वित्त आयोग के तहत प्रांतीय हिस्सेदारी के लिए संरक्षण को समाप्त करने का प्रस्ताव है।

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