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    'रेगिस्तान में बदल जाएगा इलाका, हम भूख से मर जाएंगे', सिंधु जल समझौता खत्म होने के बाद रो रहा पूरा पाकिस्तान

    सिंधु जल समझौता रद होने के बाद से पाकिस्तान भले ही गीदड़भभकी देने लगा हो लेकिन वहां की जनता पानी खत्म होने के खौफ के कांप रही है। नदी का जलस्तर पहले से काफी कम हो गया है और फसलें सूखने लगी हैं। किसानों का कहना है कि अगर भारत ने पानी नहीं छोड़ा तो ये पूरा इलाका रेगिस्तान में बदल जाएगा।

    By Agency Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Sun, 27 Apr 2025 07:41 AM (IST)
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    पाकिस्तान हमेशा की तरह गीदड़भभकी दे रहा है (फोटो: पीटीआई)

    रॉयटर्स, इस्लामाबाद। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते से खुद को अलग कर लिया है। आजादी के बाद से अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध हुए, लेकिन सिंधु जल समझौता जारी रहा। लेकिन आतंकवाद को पालने-पोसने वाला पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया।

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    अब जब भारत ने खुद को समझौते से अलग कर लिया है, तो पाकिस्तान हमेशा की तरह गीदड़भभकी पर उतर आया है। पाकिस्तान ने कहा है कि वह भारत के इस कदम को युद्ध के पहल की तरह देखेगा। लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ पाकिस्तान की सरकार ही डरी हुई है। पाकिस्तान के लोग भी खौफ में हैं।

    पाकिस्तान में पसरा डर

    न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में बातचीत में पाकिस्तानी किसान होमला ठाकुर ने अपनी फसलों के भविष्य को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नदी का जलस्तर काफी कम हो गया है। सब्जियां सूख रही हैं। किसान ने कहा कि अगर भारत पानी रोक देगा, तो पूरा देश थार रेगिस्तान में बदल जाएगा। हम भूख से मर जाएंगे।

    पाकिस्तानी सरकार के रिएक्शन पर यू.के. कंसल्टिंग फर्म ऑक्सफोर्ड पॉलिसी मैनेजमेंट के अर्थशास्त्री और टीम लीडर वकार अहमद ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के संधि से अलग होने के खतरे को कम करके आंका है।

    पानी रोकने पर काम कर रहा भारत

    • बता दें कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा है कि हम सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का एक भी बूंद पानी पाकिस्तान तक न पहुंचे। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि कुछ ही महीनों में नहरों का उपयोग करके भारत अपने खेतों की तरफ पानी को मोड़ देगा। हालांकि जलविद्युत बांधों की परियोजना को पूरा करने में 4 से 7 साल लगेंगे।
    • पाकिस्तान का पानी रोकने का असर सिर्फ खेती पर ही नहीं पड़ेगी। बल्कि पानी की कमी से बिजली उत्पादन भी प्रभावित होगा और अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा। कराची शोध फर्म पाकिस्तान एग्रीकल्चर रिसर्च के गशारिब शौकत ने कहा इस वक्त हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।

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