अटारी से जाता है पाकिस्तान को खाना... कब हुई थी इसकी शुरुआत, बंद होने से पाक को कितना होगा नुकसान?
अटारी-वाघा चेकपोस्ट भारत और पाकिस्तान के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है जो भारत में अटारी और पाकिस्तान में वाघा कस्बों के पास है। यह बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए सबसे प्रसिद्ध है जो हर रोज सूर्यास्त से पहले होने वाला एक दैनिक सैन्य अभ्यास है। पाकिस्तान के साथ ट्रेड का एकमात्र रास्ता अटारी ही है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए कई बड़े फैसले लिए हैं। इसमें सिंधु जल समझौते को रद करना, पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद कर उन्हें 48 घंटे के अंदर देश छोड़ने को कहना शामिल है।
इसके अलावा भारत ने अटारी चेक पोस्ट को भी बंद करने का फैसला किया है। अटारी भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसा अंतिम गांव है, जो अमृतसर से करीब 28 किलोमीटर दूर है। अटारी बॉर्डर से ही भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला व्यापार किया जाता है।
आज के एक्सप्लेनर में जानेंगे कि अटारी बॉर्डर का इतिहास क्या है और इसके बंद होने से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा...
प्राचीन काल से ही भारत व्यापार के लिहाज से बेहद अहम रहा है। भारत के मसाले और कपास दुनिया के व्यापारियों को आकर्षित करते रहे हैं। भारत को सेंट्रल एशिया से जोड़ने के लिए एक विशाल रूट था, जिसे उत्तरपथ कहते थे। इसे अब दुनिया ग्रैंड ट्रंक रोड के नाम से जानती है।
करीब 3600 किलोमीटर लंबा ये रूट बांग्लादेश के टेकनाफ से शुरू होकर अफगानिस्तान के काबुल तक जाता है। इसी रूट पर चंडीगढ़, अमृतसर और लाहौर पड़ते हैं। विभाजन के पहले अमृतसर और लाहौर व्यापार के दो प्रमुख केंद्र माने जाते थे।
जब बना अटारी-वाघा चेक पोस्ट
आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने वाली अंतरराष्ट्रीय रेखा व्यापार के प्रमुख केंद्र माने जाने वाले इसी कॉरिडोर से होकर गुजरी। भारत के हिस्से में अटारी आया और पाकिस्तान के हिस्से में वाघा।
ये दोनों गांव एक-दूसरे से महज 3 किलोमीटर की ही दूरी पर हैं। इसी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चेकपोस्ट बनी और इसे अटारी-वाघा चेक पोस्ट कहा गया। कहते हैं कि अटारी में कभी महाराजा रणजीत सिंह की मिलिट्री कमांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जनरल शाम सिंह अटारीवाला का घर था।
व्यापार के लिए बेहद अहम रूट
- विभाजन ने दोनों देशों के बीच एक सीमा रेखा तो बना दी, लेकिन व्यापार और आवागमन उसके बाद भी जारी रहा। भारत और पाकिस्तान के बीच एक दौर में चलने वाली समझौता एक्सप्रेस भी अटारी से वाघा और वाघा से अटारी तक जाती थी। अटारी-वाघा चेक पोस्ट से ही भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार होता है।
- इसे पाकिस्तान के लिए भारत का एकलौता ऑपरेशनल लैंड पोर्ट कह सकते हैं। भारत इस रूट से सब्जियां, सोयाबीन उत्पाद, लाल मिर्च और प्लास्टिक मैटेरियल एक्सपोर्ट करता है, जबकि अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट, रॉक सॉल्ट, सीमेंट व दूसरे उत्पाद पाकिस्तान के रास्ते इसी रूट से भारत आते हैं।
पाकिस्तान को होगा हजारों करोड़ का नुकसान
साल 2023-24 में अटारी के रास्ते करीब 3,886.53 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। इस दौरान करीब 71,563 लोगों ने बॉर्डर पार किया। पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के रिश्तों का असर व्यापार पर भी पड़ा है। 2018-19 में व्यापार अपने शीर्ष पर था, जब 4,370.78 रुपये का ट्रेड हुआ था।
इसके बाद 2019-20 में 2,772.04 करोड़ और 2020-21 में 2,639.95 करोड़ का व्यापार हुआ। कोरोना ने ट्रेड को थोड़ा और धीमा किया, जिससे ट्रेड के आंकड़े 2022-23 में घटकर 2,257.55 करोड़ रुपये हो गए थे। अब अटारी बॉर्डर के बंद हो जाने से पाकिस्तान को हजारों करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है।
बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी के लिए प्रसिद्ध
अटारी बॉर्डर पर हर शाम भारतीय सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तानी रेंजर्स के जवान ड्रिल करते हैं। ड्रिल के बाद सम्मान सहित राष्ट्रीय ध्वज को उतारा जाता है। इस बॉर्डर पर ही पाकिस्तान के सुरक्षा बलों के साथ दीवाली, ईद या स्वतंत्रता दिवस पर मिठाइयों और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान होता है।
हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे हालिया तनाव के बाद इस बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को भी बंद किया जा सकता है। भारत ने सिंधु जल समझौते को भी रद कर दिया है। वहीं भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद कर दिया है।
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