ना संसाधन ना जनता का भरोसा... पाकिस्तान में तेल निकालने अमेरिका के लिए क्यों बनी सिरदर्दी?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान में तेल के कुओं की खोज का समझौता किया है जिससे वह भविष्य में भारत को भी तेल बेच सकेगा। ग्रीस के एक मीडिया चैनल के अनुसार इस कदम से भू-राजनीतिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पाकिस्तान का भूमिगत तेल भंडार 23 से 35 करोड़ बैरल तक हो सकता है। बलूचिस्तान में तेल निकालना पाकिस्तान के लिए एक चुनौती है।

आइएएनएस, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान में तेल के कुंओं की खोज और उनसे तेल निकालने का समझौता करने की घोषणा की है। कहा कि इससे पाकिस्तान भविष्य में भारत को भी तेल बेच सकेगा।
लेकिन ट्रंप के इस कदम से भू-राजनीतिक गड़बड़ियां पैदा होने की आशंका है। यह बात ग्रीस के ऑनलाइन मीडिया चैनल डायरेक्टस ने अपने एक विश्लेषण में कही है। बताया गया है कि पाकिस्तान का भूमिगत तेल भंडार 23 करोड़ बैरल से 35 करोड़ बैरल तक हो सकता है।
अमेरिका ने जगाई पाकिस्तान की उम्मीदें
यह उपलब्धता विश्व के तेल भंडारों में 50 वें स्थान पर है। यह जानकारी दशकों से पाकिस्तान के पास है लेकिन वह तेल निकालने के लिए आवश्यक धन का इंतजाम नहीं कर पा रहा है और न ही इस परियोजना से उसे खास लाभ होने की उम्मीद है।
अब चूंकि अमेरिका ने यह प्रस्ताव रखा है इसलिए पाकिस्तान की उम्मीदें एक बार फिर से जगी हैं। लेकिन इस परियोजना की सबसे बड़ी मुश्किल है कि कच्चे तेल का यह भंडार पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में है।
बलूचिस्तान में तेल निकालना पाकिस्तान के लिए एक चुनौती
पाकिस्तान बनने के बाद से लगातार अशांत बलूचिस्तान में जाकर तेल निकालना अमेरिका के लिए मंहगा सौदा साबित हो सकता है।
बलूचिस्तान का तेल भंडार इतना बड़ा नहीं है कि अमेरिका उससे तेल निकालने के लिए निवेश करने के बाद उससे प्राप्त लाभ को पाकिस्तान के साथ बांटे, साथ ही बलूचों के विद्रोह को शांत करने के लिए खर्च करे। इस सिलसिले का एक तथ्य यह भी है कि बलूचिस्तान होकर ही चीन का चाइना-पाकिस्तान इकोनोमिक कारिडोर गुजर रहा है जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक जाता है।
इस कॉरिडोर की सुरक्षा में चीन के सैनिक भी तैनात हैं। ऐसे में चीन के प्रभाव वाले इलाके में अमेरिका की गतिविधियों से टकराव होने के आसार भी हैं। इतना ही नहीं, परियोजना के चलते यदि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है तो उसका लाभ वहां प्रश्रय पा रहे आतंकी संगठन भी उठा सकते हैं जिससे विश्व शांति को खतरा पैदा हो सकता है।
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