Pakistan: 'नेशनल असेंबली को काम नहीं करने देंगे', सत्तारूढ़ पार्टी को PTI ने दी चेतावनी; जानें क्या है पूरा मामला
इमरान खान द्वारा स्थापित पार्टी ने दावा किया है कि 8 फरवरी के आम चुनावों के दौरान उसका जनादेश चोरी हो गया था। सत्तारूढ़ गठबंधन पर कड़ा प्रहार करते हुए ...और पढ़ें

एएनआई, इस्लामाबाद। सत्तारूढ़ गठबंधन पर कड़ा प्रहार करते हुए, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ नेता जुनैद अकबर ने चेतावनी दी है कि वे नेशनल असेंबली को तब तक काम नहीं करने देंगे, जब तक कि उनके उचित अधिकारों का प्रावधान नहीं हो जाता। दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के वरिष्ठ नेता सरदार अयाज सादिक को नेशनल असेंबली का अध्यक्ष और पीपीपी के नेता गुलाम मुस्तफा शाह को उपाध्यक्ष चुनाव गया।
पीटीआई नेता ने संसद के नवनिर्वाचित निचले सदन के दूसरे सत्र में अपने उग्र भाषण के दौरान यह टिप्पणी की। सदन में बोलते हुए अकबर ने कहा, "हम इस विधानसभा को मान्यता नहीं देते हैं। हम न तो कानून बनाएंगे और न ही इसे सदन में अनुमति देंगे।"
चुनावों को बताया धांधली
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इमरान खान द्वारा स्थापित पार्टी ने दावा किया है कि 8 फरवरी के आम चुनावों के दौरान उसका जनादेश चोरी हो गया था। उन्होंने चुनावों को धांधली करार दिया है और कार्यवाहक सरकार पर चुनावों से पहले समान अवसर देने से इनकार करने का आरोप लगाया है।
पीटीआई के साथ कथित भेदभाव के मामलों पर जोर देते हुए, विधायक ने कहा कि 9 मई के उपद्रव की आड़ में उनकी पार्टी से उसका चुनावी प्रतीक बल्ला छीन लिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पीटीआई संस्थापक की हत्या की भी दो बार कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि 9 मई को पीटीआई के करीब 34 समर्थक मारे गए और खान द्वारा स्थापित पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई। उन्होंने कहा, "मेरे और मेरे दोस्तों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया।"
9 मई को देश भर में भड़के थे दंगे
190 मिलियन पाउंड के निपटान मामले में अपदस्थ प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी के बाद 9 मई को लगभग पूरे देश में दंगे भड़क उठे थे। स्थानीय जियो न्यूज के अनुसार, हिंसा और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों में शामिल होने के लिए सैकड़ों पीटीआई कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं को सलाखों के पीछे डाल दिया गया था।
विरोध प्रदर्शन के दौरान, उपद्रवियों ने रावलपिंडी में जिन्ना हाउस और जनरल हेडक्वार्टर सहित नागरिक और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया था। सेना ने 9 मई को 'काला दिवस' करार दिया और उपद्रवियों पर सेना अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने का फैसला किया।
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जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पीटीआई ने सरकार और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा से 9 मई की हिंसा के लाभार्थी का पता लगाने के लिए नए सिरे से जांच शुरू करने का आग्रह किया।
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