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    Pakistan: सेना ने पाकिस्तानी तालिबान के ठिकाने पर डाली रेड, गोलीबारी में तीन आतंकी ढेर

    पाकिस्तानी सैनिकों ने अफगानिस्तान की सीमा के पास पूर्व पाकिस्तानी तालिबान के गढ़ में एक संदिग्ध आतंकवादी ठिकाने पर छापेमारी की जिस दौरान गोलीबारी में तीन आतंकी ढेर हो गए। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पाकिस्तानी तालिबान का हौसला बढ़ गया है। पिछले साल नवंबर में पाकिस्तानी सरकार और टीटीपी के बीच संघर्षविराम समाप्त होने के बाद पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों में तेजी आई है।

    By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Tue, 26 Sep 2023 02:30 PM (IST)
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    पाक सेना ने गोलीबारी में तीन आतंकियों को किया ढेर

    इस्लामाबाद, एपी। पाकिस्तानी सैनिकों ने अफगानिस्तान की सीमा के पास पूर्व पाकिस्तानी तालिबान के गढ़ में एक संदिग्ध आतंकवादी ठिकाने पर छापेमारी की। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, इस दौरान गोलीबारी हुई और तीन आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी।

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    पाकिस्तानी सैनिकों पर किया था हमला

    एक सैन्य बयान के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के एक जिले खैबर में सोमवार देर रात हुई गोलीबारी में मारे गए लोगों में एक आतंकवादी कमांडर भी शामिल था। सेना ने इस मामले में ज्यादा जानकारी नहीं दी है और कहा कि पहले इन आतंकवादियों ने ही पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला किया था।

    लगातार बढ़ रहे पाकिस्तानी तालिबानियों का आतंक

    पाकिस्तानी तालिबान, जिसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या टीटीपी के नाम से भी जाना जाता है, वह एक अलग समूह है, लेकिन अफगान तालिबान के साथ संबद्ध है। इसने दो साल पहले अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पाकिस्तानी तालिबान का हौसला बढ़ गया है, जिसने पुलिस और सैनिकों के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं।

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    खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में दिख रहा असर

    बता दें कि पिछले साल नवंबर में पाकिस्तानी सरकार और टीटीपी के बीच संघर्षविराम समाप्त होने के बाद पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों में तेजी आई है। इसका असर ज्यादातर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में दिख रहा है।

    चुनी सरकार को उखाड़ फेंकने की चाहत

    मालूम हो कि 2007 में कई सारे आतंकी गुट एक साथ आए और इनसे मिलकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान बना था।  तहरीक-ए-तालिबान यानी टीटीपी को पाकिस्तान तालिबान भी कहते हैं। इसका मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन को लागू करना है।

    हालांकि, अगस्त 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने टीटीपी को बैन कर दिया है। पाकिस्तान तालिबान और अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है, लेकिन दोनों का मकसद एक ही है। दोनों ही सरकार को उखाड़ फेंकना चाहती है और कट्टर इस्लामिक कानून लागू करना चाहती है।

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