भारत के हमले के बाद भी पाकिस्तान की नापाक हरकत, लश्कर-ए-तैयबा के पुनर्निर्माण के लिए दे रहा है फंड
ऑपरेशन सिंदूर में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय को नष्ट करने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। खुफिया जानकारी के अनुसार पाकिस्तान इस संगठन के पुनर्निर्माण के लिए सीधे तौर पर धन मुहैया करा रहा है जिसके लिए उसने 4 करोड़ पाकिस्तानी रुपये आवंटित भी कर दिए हैं। लश्कर ने बाढ़ राहत की आड़ में धन उगाही अभियान भी शुरू किया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के हाथों बुरी तरह पिटने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इस आपरेशन के तहत 7 मई को भारतीय वायु सेना के हमलों में लश्कर-ए-तैयबा का मुरीदके स्थित मुख्यालय 'मरकज तैयबा' मलबे में तब्दील हो गया था।
इस सटीक हमले में आतंकियों के आवास, हथियार भंडारण और आतंकी संगठन के 'उम्म-उल-कुरा' प्रशिक्षण केंद्रों सहित प्रमुख इमारतें ध्वस्त हो गईं। इसके परिणामस्वरूप लश्कर का कमांड हब पूरी तरह से नष्ट हो गया। अब ताजा खुफिया जानकारी से यह बात सामने आई है कि पाकिस्तान इस संगठन और इसके ध्वस्त मुख्यालय के पुनर्निर्माण के लिए सीधे तौर पर धन मुहैया करा रहा है।
कितने होंगे खर्च?
पुनर्निर्माण की मियाद 5 फरवरी, 2026 तय की इस्लामाबाद ने पहले ही लश्कर को चार करोड़ पाकिस्तानी रुपये आवंटित कर दिए हैं, जबकि संगठन का अनुमान है कि पुनर्निर्माण पर 15 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे। वरिष्ठ कमांडर मौलाना अबू जार और यूनुस शाह बुखारी इस परियोजना की देखरेख कर रहे हैं, जिसकी समय सीमा 5 फरवरी, 2026 तय की गई है।
इसी दिन लश्कर वार्षिक कश्मीर एकजुटता दिवस सम्मेलन आयोजित करता है। बाढ़ राहत की आड़ में धन उगाही अभियान एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए एक डोजियर के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा के कैडरों ने बाढ़ राहत की आड़ में धन उगाही अभियान भी शुरू किया है। यह आतंकी संगठन के उस पुराने पैटर्न को दर्शाता है जिसमें वे मानवीय मदद का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने एवं ढांचों का निर्माण करने में किया करते थे।
2005 में लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे जमात-उद-दावा द्वारा एकत्रित भूकंप राहत निधि का लगभग 80 प्रतिशत आतंकवादी शिविरों के निर्माण में लगाया गया था। आतंकवाद रोकने पर पाक का दोहरा रवैया पाकिस्तान हालांकि वैश्विक मंचों पर बार-बार आतंकवाद से लड़ने का दावा करता रहता है।
पाक सेना और ISI है शामिल
मगर, इसके बावजूद डोजियर इस बात की पुष्टि करता है कि पाकिस्तानी सेना और आइएसआइ इसमें शामिल हैं, जिससे लश्कर का अस्तित्व और पुनरुत्थान सुनिश्चित हो रहा है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि जानबूझकर किया गया पुनर्निर्माण का यह प्रयास आतंकवाद रोकने पर इस्लामाबाद के दोहरे रवैये को दर्शाता है और पाकिस्तानी धरती से सीमा पार किसी नए हमलों की साजिश रचे जाने की आशंका का संकेत देता है।
मरकज लश्कर का सबसे अहम ट्रे¨नग सेंटर मुरीदके स्थित मरकज तैयबा न केवल इस संगठन के प्रमुख कमांडरों का निवास स्थान है, बल्कि कट्टरपंथ फैलाने, आपस में खुफिया जानकारी जुटाने-साझा करने, हथियार चलाने आदि के प्रशिक्षण का केंद्र भी है। वर्ष 2000 में स्थापित मरकज तैयबा, लश्कर-ए-तैयबा का सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र है, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शेखपुरा-मुरीदके के नांगल सहदान में स्थित है।
लादेन ने भी दिए थे पैसे
इस परिसर में शारीरिक प्रशिक्षण की सुविधा के साथ-साथ देश-विदेश के आतंकी संगठनों के लिए कट्टरपंथ फैलाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता था। ओसामा ने भी मरकज को दिए थे एक करोड़ रुपये इस मरकज में हर साल लगभग 1,000 छात्र विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला लेते हैं, जिससे लश्कर-ए-तैयबा के लिए आतंकी तैयार करने में इस मरकज की भूमिका उजागर होती है।
ओसामा बिन लादेन ने भी मरकज तैयबा परिसर के भीतर मस्जिद और गेस्ट हाउस के निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये दिए थे। मुंबई हमलों के गुनाहगारों को यहीं मिली ट्रेनिंग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारे पर अजमल कसाब समेत 26/11 के मुंबई हमलों के सभी साजिशकर्ताओं को इसी केंद्र में 'दौरा-ए-रिब्बत' (खुफिया प्रशिक्षण) दिया गया था। मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा, जकी-उर-रहमान लखवी के निर्देश पर अब्दुल रहमान सईद उर्फ पाशा, हारून और खुर्रम (सह-साजिशकर्ता) के साथ मुरीदके गए थे।
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