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    पाक को सता रहा युद्ध का डर या कोई और बात…, अचानक 10 दिनों के लिए क्यों बंद किए गए PoK के मदरसे?

    भारत द्वारा सीमापार आतंकी शिविरों को निशाना बनाने के बाद पाकिस्तान में डर का माहौल है। इसी के चलते गुलाम जम्मू-कश्मीर की सरकार ने अपने यहां स्थित सभी धार्मिक मदरसों को 10 दिनों के लिए बंद कर दिया है। पाकिस्तान का कहना है कि उसके पास इस बात की पुख्ता सूचना है कि भारत जल्द ही सैन्य कार्रवाई कर सकता है।

    By Agency Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Thu, 01 May 2025 08:07 PM (IST)
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    संशो- गुलाम जम्मू-कश्मीर के मदरसे 10 दिनों के लिए बंद। (फाइल फोटो)

    मुजफ्फराबाद, रॉयटर्स। पूर्व में आतंकी हमलों के बाद भारत ने जिस तरह सीमापार आंतकी शिविरों को निशाना बनाया था, उससे पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में काफी डर का माहौल है। इसी के चलते गुलाम जम्मू-कश्मीर की सरकार ने अपने यहां स्थित सभी धार्मिक मदरसे 10 दिनों के लिए बंद कर दिए हैं।

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    पाकिस्तान का कहना है कि उसके पास इस बात की पुख्ता सूचना है कि भारत जल्द ही सैन्य कार्रवाई कर सकता है। भारत का आरोप है कि पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमला पाकिस्तानी नागरिकों ने किया है जिनके वहां स्थित आतंकी संगठनों से संबंध हैं।

    क्यों बंद किए गए मदरसे?

    गुलाम जम्मू-कश्मीर में धार्मिक मामलों के विभाग के निदेशक हाफिज नाजिर अहमद ने बताया कि सुरक्षा अधिकारियों को आशंका है कि भारतीय सेना मदरसों को यह कहकर निशाना बना सकती है कि वे आतंकी प्रशिक्षण शिविर थे। हालांकि, 30 अप्रैल को जारी अधिसूचना में मदरसों को बंद करने का कारण अत्यधिक गर्मी को बताया गया है। लेकिन अहमद ने अपने बयान में सच्चाई बयान कर दी।

    क्या पाक को सता रहा युद्ध का डर? 

    उन्होंने कहा,

    अभी हम दो तरह की गर्मी का सामना कर रहे हैं। एक मौसम की और दूसरी मोदी (भारत के प्रधानमंत्री) की। दहशत न फैले इसलिए अधिसूचना में हमलों के खतरे का उल्लेख नहीं किया गया है।

    • अहमद ने बताया कि हमने बुधवार को एक बैठक करके सर्वसम्मति से यह फैसला किया कि निर्दोष बच्चों के जीवन को खतरे में न डाला जाए। गुलाम जम्मू-कश्मीर के राष्ट्रपति कार्यालय ने भी मदरसों की बंदी का कारण एहतियाती उपाय बताया है।
    • धार्मिक मामलों के विभाग के अनुसार, गुलाम जम्मू-कश्मीर में 445 पंजीकृत मदरसे हैं जिनमें 26 हजार छात्र अध्ययनरत हैं।
    • धार्मिक संगठनों द्वारा संचालित ये मदरसे दरअसल इस्लामिक शिक्षण संस्थान हैं जिनमें स्कूली शिक्षा के विकल्प के रूप में सस्ती या कहें मुफ्त धार्मिक शिक्षा प्रदान की जाती है।

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