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Pakistan Economic Crisis: अनपढ़ों का देश बनता जा रहा पाकिस्तान, गरीबी के कारण स्कूल छोड़ रहे हजारों बच्चे

Pakistan economic crisis पाकिस्तान में गहराते आर्थिक संकट की वजह से बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। बढ़ती महंगाई और भोजन सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी के कारण कई बच्चों को अब स्कूलों से निकाला जा रहा है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashPublished: Mon, 13 Mar 2023 03:10 PM (IST)Updated: Mon, 13 Mar 2023 03:10 PM (IST)
अनपढ़ों का देश बनता जा रहा पाकिस्तान, गरीबी के कारण स्कूल छोड़ रहे हजारों बच्चे

नई दिल्ली, एजेंसी। Pakistan economic crisis: पाकिस्तान में गहराते आर्थिक संकट की वजह से बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। बढ़ती महंगाई और भोजन सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी के कारण कई बच्चों को अब स्कूलों से निकाला जा रहा है। दरअसल, हजारों माता-पिता दोनों समय के खाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।

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बड़ी संख्या में इन बच्चों को माता-पिता द्वारा रोजगार में धकेला जा रहा है। एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव को बताया, 'पाकिस्तान में कई बच्चों के लिए स्कूल जाना अब एक लक्जरी जैसा है क्योंकि देश की स्थिति काफी हद तक श्रीलंका जैसी हो गई है। कई लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करना पहली प्राथमिकता है।'

2.25 करोड़ बच्चों ने कोरोना काल में छोड़ा था स्कूल

2018 में ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 2.25 करोड़ पाकिस्तान के बच्चे स्कूल से बाहर निकल गए थे, जिनमें अधिकांश लड़कियां शामिल थीं। ये आंकड़े कोविड महामारी से पहले के थे, लेकिन देश में बिगड़ती आर्थिक स्थिति ने स्कूल छोड़ने वालों की संख्या को तेजी से बढ़ाया है।

1974 के बाद सबसे ज्यादा है वर्तमान में महंगाई दर

शहबाज शरीफ सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मांगों को पूरा करने के लिए ईंधन की कीमतों में वृद्धि की है। फरवरी में पाकिस्तान की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति 31.5 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जो कि साल 1974 के बाद से उच्चतम दर है। स्थानीय मुद्रा में मूल्य बहुत तेजी से गिरने की वजह से यह संकट बढ़ता ही जा रहा है।

आईएमएफ से नहीं मिला लोन

बता दें कि 6.5 अरब डॉलर के वित्तीय सहायता पैकेज की बहाली के लिए आईएमएफ के साथ पाकिस्तान की लंबी बातचीत हो चुकी है। लेकिन, इसके बावजूद पाकिस्तान को अभी तक लोन नहीं मिला है।

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के एक अध्ययन में कहा गया है कि सरकार गरीबों को भोजन और यहां तक कि नकद सहायता प्रदान करने वाली एहसास राशन कार्यक्रम और एहसास कफलात कार्यक्रम जैसी सब्सिडी योजनाएं चला रही है। मगर, इनके कार्यान्वयन की प्रक्रिया में विसंगतियां हैं।

विनाशकारी बाढ़ ने और बढ़ा दी मुश्किलें

पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 40 लाख बच्चे दूषित और स्थिर बाढ़ के पानी के पास रह रहे हैं। इससे उनके अस्तित्व और स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा बढ़ रहा है।

कमजोर, भूखे बच्चे गंभीर तीव्र कुपोषण, डायरिया, मलेरिया, डेंगू बुखार, टाइफाइड, तीव्र श्वसन संक्रमण और दर्दनाक त्वचा की स्थिति के खिलाफ एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। हजारों घर और कई सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, जल प्रणाली और स्कूल नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गए हैं।


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