पाकिस्तान में पुलिस के साथ झड़प के बाद टीएलपी पर लगा प्रतिबंध, मुरीदके में मारे गए थे 16 पुलिसकर्मी
पाकिस्तान सरकार ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला टीएलपी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हिंसक झड़पों के बाद लिया गया, जिसमें 16 पुलिसकर्मियों की जान चली गई। टीएलपी पर पहले भी हिंसा फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। सरकार ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है और कानून व्यवस्था बनाए रखने की बात कही है।

पाकिस्तान में टीएलपी पर लगा प्रतिबंध। रॉयटर्स
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान ने गुरुवार को आतंक रोधी कानून के तहत कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर प्रतिबंध लगा दिया। यह निर्णय कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। इस इस्लामिक संगठन पर हिंसक प्रदर्शनों को लेकर 2021 में भी तत्कालीन इमरान सरकार में प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि छह महीने बाद ही इसे हटा लिया गया था।
इस बीच, टीएलपी के 100 से ज्यादा इंटरनेट मीडिया सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। पीटीआई के अनुसार, पंजाब प्रांत के सूचना मंत्री आजम बुखारी ने गुरुवार को लाहौर में पत्रकारों को बताया कि साइबर अपराध रोधी एजेंसी ने भड़काऊ पोस्ट करने के लिए टीएलपी के 107 सदस्यों को गिरफ्तार किया है और 75 इंटरनेट मीडिया अकाउंट ब्लाक किए हैं।
टीएलपी समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह लाहौर से करीब 60 किलोमीटर दूर मुरीदके में टीएलपी समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें पुलिसकर्मियों समेत 16 लोग मारे गए थे और 1600 से ज्यादा घायल हुए थे। इस घटना के बाद से ही टीएलपी पर शिकंजा कसा जा रहा है। ये झड़पें उस समय हुई थीं, जब टीएलपी के हजारों समर्थक इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास के बाहर इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जा रहे थे।
पंजाब प्रांत की पुलिस ने दावा किया है कि हिंसक झड़पों के बाद से अब तक छह हजार से ज्यादा टीएलपी सदस्यों की गिरफ्तारी हो चुकी है। टीएलपी द्वारा संचालित 61 मदरसों को भी सील कर दिया गया है। जबकि टीएलपी ने दावा किया है कि फलस्तीन के प्रति एकजुटता व्यक्त करने जा रहे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाई गई थीं, जिसमें उसके दर्जनों समर्थक मारे गए, जबकि हजारों घायल हुए।
सेना ने ही बनाया टीएलपी
टीएलपी को पाकिस्तानी सेना ने ही बनाया है। सेना जब लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई किसी सरकार से नाखुश होती है तो वह उसे सत्ता से बेदखल करने का प्रयास करती है और इस प्रयास में टीएलपी का इस्तेमाल करती है। यह संगठन लंबे समय से देश की कुख्यात खुफिया एजेंसी आइएसआइ की राह पर चलता रहा, लेकिन वह अब आक्रामक हो गया है और इस्लामी एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
(समाचार एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ)
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