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    बेशर्मी की हद! ऑपरेशन सिंदूर पर झूठी खबरें फैलने वाले को पाकिस्तान ने दिया 'तमगा-ए-इम्तियाज'

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 06:00 AM (IST)

    पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर पर झूठी खबरें फैलाने वाले व्यक्ति को 'तमगा-ए-इम्तियाज' से सम्मानित करके बेशर्मी की हद पार कर दी है। इस कदम से पाकिस्तान की छवि और धूमिल होगी। यह झूठ और दुष्प्रचार को बढ़ावा देने जैसा है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा होनी चाहिए। 

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    शहबाज शरीफ, प्रधानमंत्री पाकिस्तान। (एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान झूठी खबरें फैलाने के लिए दो पत्रकारों को सम्मानित किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष के दौरान कमर चीमा और वजाहत काजमी ने बड़े पैमाने पर झूठी खबरें फैलाई थीं। इसके लिए मीडिया निगरानी संगठनों ने इनकी तीखी आलोचना भी की थी।

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    चीमा को 'तमगा-ए-इम्तियाज' से सम्मानित किया गया है, जिसे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उनको सम्मानित किया। वहीं काजमी को सिंध के मुख्यमंत्री ने पुरस्कृत किया। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर ऑपरेशन बुनियाद अल मरसूस चलाया था।

    हालांकि, डिसइंफार्मेशन कमीशन के कहा कि डिजिटल फोरेंसिक रिसर्च एंड एनालिसिस सेंटर (डीएफआरएसी) की छानबीन में पता चला था कि दोनों पत्रकारों ने बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार, हेरफेर और तथ्यों को जानबूझकर तोड़मरोड़कर दुनिया के सामने पेश किया।

    वीडियो गेम फुटेज से चीमा ने किया खेल

    पूरे संघर्ष के दौरान चीमा ने आक्रामक तरीके से मनगढ़ंत दावे किए, जिनमें भारतीय विमानों को मार गिराए जाने की झूठी घोषणाएं और भारतीय मिसाइल प्रणालियों को नष्ट किए जाने के बारे में निराधार दावे शामिल थे। एक बहुप्रसारित घटनाक्रम में उन्होंने भारतीय वायुसेना को अपमानित करने के उद्देश्य से वीडियो गेम की फुटेज को वास्तविक युद्ध दृश्य के रूप में पेश किया।

    चीमा ने एक्स पर घोषणा की, 'ऑपरेशन के दौरान भारत ने पाकिस्तान से सूचना युद्ध जीतने का प्रयास कर रहा। नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते।' विडंबना यह थी कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एआइ-जेनरेटेड फर्जी खबरों और वीडियो गेम फुटेज को सैन्य जीत के रूप में पेश किया।''

    इसके बाद चीमा ने दो विवादास्पद आंकड़े पेश किए, उससे भी उनकी फजीहत हुई। उनके इस्लामाबाद स्थित सनोबर इंस्टीट्यूट ने जून 2025 में एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के सरगना कारी मोहम्मद याकूब शेख को शामिल किया गया था। शेख को अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने प्रतिबंधित सूची में डाल रखा है।

    वजाहत काजमी की धूर्तता के चर्चे

    इसी तरह, वजाहत काजमी ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया ब्रांडों के साथ अपने जुड़ावों का फायदा उठाकर झूठे बयानों को और ज्यादा प्रभावशाली ढंग से प्रचारित किया। सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए कुख्यात काजमी ने पहले भी भारतीय क्रिकेटर अर्शदीप सिंह के छूटे हुए कैच पर टिप्पणी करके धार्मिक ध्रुवीकरण भड़काने को नाकाम साजिश की थी।

    डीएफआरएसी ने सोशल मीडिया पहुंच बढ़ाने के लिए धूर्तता भरे हथकंडे अपनाने पर उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर सवाल उठाए थे। 2016 में पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ट्रिब्यून.पीके द्वारा प्रकाशित यौन उत्पीड़न के आरोपों ने उनके रिकॉर्ड को और भी बदतर बना दिया, जिसके बाद काजमी ने अचानक अपने ऑनलाइन प्रोफाइल हटा दिए।

    गलत सूचना अभियानों और नैतिक रूप से संदिग्ध आचरण में शामिल लोगों को सम्मानित करके, पाकिस्तान राज्य की मान्यता और नैरेटिव युद्ध के बीच एक चिंतित करनेवाले जुड़ाव का संकेत देता है।

    (समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)

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