जाधव मसले पर हवा देना के पीछे है पाकिस्तानी-भारतीय मीडिया का हाथ
कुलभूषण जाधव मामले को भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया शर्मनाक तरीके से प्रसारित कर रही है।
इस्लामाबाद (एएनआइ)। कुलभूषण जाधव मामले को भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया शर्मनाक तरीके से प्रसारित कर रही है। जाधव मसले पर राजनीतिक विश्लेषक अदनान रहमत ने पाकिस्तानी और भारतीय मीडिया को आड़े हाथ लेते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, '25 दिसंबर, 2017 को पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसैनिक कमांडर कुलभूषण जाधव और उनके परिवार (मां और पत्नी) के बीच हुई मुलाकात के दौरान दोनों देशों की मीडिया ने मानवीय गरिमा का पूर्णतः उल्लंघन किया। इस मसले को मीडिया शर्मनाक और कोरियोग्राफ तरीके से प्रदर्शित कर रही है।'
हाल ही में एक वेबसाइट द्वारा प्रकाशित लेख पर राजनीतिक विश्लेषक अदनान रहमत ने कहा है, 'पाकिस्तान और भारत के बीच की समस्या सिर्फ सुरक्षा हितों पर केंद्रित नहीं है, बल्कि दोनों देशों की मीडिया भी इसका प्रमुख कारण है। दोनों देशों के बीच के संघर्ष से मीडिया को मुनाफा हो रहा है। किसी भी मुद्दों के बारे में लोगों की धारणा, उन मुद्दों पर मीडिया की अपनी धारणाओं पर आधारित होती है।'
उन्होंने आगे कहा कि इस विचार को धारण करते हुए यह करना है कि जाधव की उनके परिवार से मुलाकात ने पाकिस्तान के वास्तविक स्वरूप का पर्दाफाश किया है। यह रियल टाइम मीडिया द्वारा गढ़ा गया और यह सुरक्षा संचालित विदेश नीति थी। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ठोस मानवीय रिश्तों और संभवतः इन राज्यों के अमानवीय प्रकृति को हल करने के लिए इन मानवीय रिश्तों का उपयोग करने की नई शुरुआत सफल नहीं हो सकती है।
उन्होंने कहा, 'कथित जासूस और उसकी मां-पत्नी के बीच की मुलाकात भारत-पाकिस्तान के संदिग्ध मानदंडों द्वारा भी द्विपक्षीय कूटनीति का असामान्य प्रदर्शन था। मानव मूल्यों को पूरा करने के लिए ये इस्लामाबाद द्वारा उठाई गई सराहनीय कोशिश थी। यह वास्तव में भारत के दिल और दिमागों को जीतने के लिए पाकिस्तान के पास अच्छा मौका था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह कहते हैं कि 43 मिनट की मुलाकात के समय और उसके बाद के समय में यह प्रमाणित हो गया था कि जाधव, उनकी मां और पत्नी दोनों पक्षों पर प्रचार युद्धों में नवीनतम मोहरा बन गए हैं।
उन्होंने कहा कि, 'यह देखा गया कि पाकिस्तान और भारत दोनों ही मीडिया ने गहन और विचारपूर्ण विश्लेषण में लिप्त होने की बजाय तार्किक रूप से इस मामले की रिपोर्टिंग की। दोनों देशों की सोशल मीडिया ने भी इस मसले को और ही दिशा दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मीडिया ने पूरी तरह से और अप्रत्याशित रूप से विदेशी कार्यालय में अपनी मौजूदगी दिखाई। जाधव से मिलने से पहले और मिलने के बाद सवालों की लाइन लगा दी।
उन्होंने कहा, 'पत्रकारों के लिए निष्पक्ष होना वैकल्पिक नहीं है, यह अनिवार्य है। भले ही जाधव हत्या के दोषी हैं लेकिन जाधव की मां-पत्नी न तो आतंकवादी हैं और न ही क्रिमिनल, न ही भारत-पाकिस्तान के प्रतिद्वंद्विता पार्टी है। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकार सार्वजनिक हित के संरक्षक हैं। यदि जाधव महिलाएं बोलना नहीं चाहती हैं, तो पाकिस्तानी मीडिया को अपने पेश के कर्तव्य के रूप में उस अधिकार का सम्मान करना चाहिए था। भाषण देना या चिल्लाना पत्रकारिता नहीं है।
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