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    Pakistan ने इतिहास में पहली बार माना बलूचिस्तान मांग रहा आजादी, कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने कही बड़ी बात

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Sun, 28 Jan 2024 10:21 AM (IST)

    Pakistan Pm on Balochistan Demand पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर ने स्वीकार किया कि बलूचिस्तान के लोग न केवल पाकिस्तान से असंतुष्ट हैं बल्कि एक स्वतंत्र राज्य की मांग कर रहे हैं। काकर ने एक साक्षात्कार में बलूचिस्तान में जबरन गायब हो रहे लोगों के जटिल मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। काकर ने स्वीकार किया कि बलूचिस्तान में असंतोष की जड़ एक अलग बलूच पहचान है।

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    Pakistan Pm on Balochistan Demand पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर।

    एएनआई, इस्लामाबाद। Pakistan Pm on Balochistan Demand पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी भी राजनीतिक नेता ने पहली बार माना है कि बलूचिस्तान के लोग आजादी मांग रहे हैं। पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर ने स्वीकार किया कि बलूचिस्तान के लोग न केवल पाकिस्तान से असंतुष्ट हैं, बल्कि एक स्वतंत्र राज्य की मांग कर रहे हैं। 

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    बलूचिस्तान में जबरन गायब हो रहे लोग

    बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, काकर ने एक साक्षात्कार में बलूचिस्तान में जबरन गायब हो रहे लोगों के जटिल मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। पाक पीएम ने इन मामलों को सुलझाने में आने वाली चुनौतियों को पहचाना और लापता व्यक्तियों की वापसी पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर भी जोर दिया। 

    पीएम ने स्वीकारा, बलूचों में है असंतोष

    पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि बलूचिस्तान में असंतोष की जड़ एक अलग बलूच पहचान है। हालांकि, ये इस बात को पिछले पाकिस्तानी प्रशासनों ने कभी स्वीकार नहीं किया था। 

    पहली बार किसी पीएम ने स्वीकारी बात

    बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाक पीएम का यह बयान पिछली पाकिस्तानी सरकारों के एक अलग दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो बलूचिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन को अल्पसंख्यकों की चिंता को दिखाता है। इससे पहले सभी नेता आजादी की मांग को कभी स्वीकारते नहीं थे।

    विवादों से भरा रहा काकर का कार्यकाल

    बलूचिस्तान के पश्तून बेल्ट से आने वाले कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में काकर का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। बलूचिस्तान में स्वतंत्रता-समर्थक और राजनीतिक दलों ने उनकी सरकार की आलोचना की है, उनका कहना है कि बलूच आंदोलन के दमन में वो शामिल रहे हैं।

    काकर के प्रशासन पर लापता व्यक्तियों के रिश्तेदारों के खिलाफ बल प्रयोग करने और राजनीतिक प्रतिशोध में शामिल होने का आरोप लगा है। अंतरिम प्रधानमंत्री ने जबरन गायब किए गए लोगों के परिवारों के प्रदर्शनों का खुले तौर पर विरोध किया है और इन मुद्दों का समर्थन करने वाले पत्रकारों, लेखकों और नागरिक समाज के अधिवक्ताओं पर बलूच सशस्त्र संघर्ष से जुड़े होने का आरोप लगाया है।