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आतंक के मुद्दे पर पाक को अमेरिकी चेतावनी, कार्रवाई में ये है अड़चन

अमेरिका का कहना है कि ये साफ हो चुका है कि पाकिस्तान आज तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वो दोहरा मानदंड अपनाता रहा है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Fri, 19 Jan 2018 02:24 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jan 2018 08:02 AM (IST)
आतंक के मुद्दे पर पाक को अमेरिकी चेतावनी, कार्रवाई में ये है अड़चन
आतंक के मुद्दे पर पाक को अमेरिकी चेतावनी, कार्रवाई में ये है अड़चन

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]।अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिद्दीन का सरगना सैय्यद सलाहुद्दीन बुलंद आवाज में भारत के खिलाफ तकरीर करते हैं। इसमें शक नहीं कि कश्मीर की सरजमीं पर सईद और सलाहुद्दीन का संगठन आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। लेकिन पाकिस्तान के पीएम शाहिद खाकान अब्बासी कहते हैं कि हाफिज के खिलाफ जब पाकिस्तान में कोई केस नहीं है तो उनके खिलाफ कार्रवाई कैसे की जा सकती है। ये बात अलग है कि अब अमेरिकी सरकार पाकिस्तान की दलीलों पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है। ट्रंप द्वारा अमेरिकी सरकार की कमान संभालने के बाद से ही पाकिस्तान के खिलाफ उनका नजरिया सामने आता रहा है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी रुख में और सख्ती देखने को मिल रही है। इन सबके बीच ये सवाल ये है कि एक तरफ पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका पुख्ता सबूत की बात भी करता है, तो अमेरिका सीधी कार्रवाई करने से क्यों बच रहा है। पहले आप को बताते हैं कि व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने क्या कहा।

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आतंकवाद पर पाकिस्तान को खरी खरी
आतंकवाद का समर्थन करने में बेपर्दा हो चुके पाकिस्तान को अमेरिका अब बख्शने के मूड में नहीं है। खुद खरी-खोटी सुनाने और सैन्य सहायता रोकने के बाद अमेरिका अब चाह रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी पाकिस्तान की लानत-मलानत हो। उसे दुनिया की इस सबसे शक्तिशाली संस्थान में जलील किया जाए। अमेरिका की इस इच्छा से वहां की राजदूत ने निक्की हेली ने वाकिफ कराया है। नए साल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का किया गया पहला ट्वीट पाकिस्तान को लेकर उनके क्षणिक आवेश का नतीजा नहीं था। अमेरिकी सरकार की सोच में घर कर गया है कि पाकिस्तान झूठा और धोखेबाज देश है, जो अमेरिका से डॉलर लेकर आतंकियों की मदद करता है।


इस बात की पुष्टि बुधवार को व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने पत्रकार वार्ता में की। सैंडर्स ने कहा, राष्ट्रपति ने बिल्कुल सही कहा। पाकिस्तान ने 15 वर्षो में आतंकवाद से लड़ने के नाम पर अमेरिका से 33 अरब डॉलर (दो लाख दस हजार करोड़ रुपये) लिये। लेकिन वास्तव में उसने आतंकियों को पाला-पोसा और पनाह दी। इन्हीं आतंकियों से अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को लड़ना पड़ा। इससे पाकिस्तान का झूठा और धोखेबाज चरित्र सामने आया।

जानकार की राय
दैनिक जागरण से खास बातचीत में विदेश मामलों के जानकार हर्ष वी पंत ने कहा कि पाकिस्तान के मुद्दे पर अमेरिकी रुख में बड़ा बदलाव आया है। पहले अमेरिकी प्रशासन को लगता था कि अफगानिस्तान में आतंकी गुटों से लड़ाई में पाकिस्तान का सहयोग जरूरी है। सामरिक तौर पर अफगानिस्तान से पाकिस्तान सटा हुआ है लिहाजा व्यवहारिक तौर पर अमेरिका के लिए पाक जमीन का इस्तेमाल जरूरी था। लेकिन एक पक्ष ये भी सामने आया कि अमेरिकी मदद का इस्तेमाल कर आइएसआइ ने हक्कानी नेटवर्क को खड़ा किया। हालांकि ट्रंप प्रशासन अब इस बात को समझ रहा है कि आंख मूंद कर पाक सरकार और फौज पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। जहां तक पाकिस्तान के खिलाफ सीधी कार्रवाई का सवाल है वो व्यवहारिक तौर पर अमेरिका के लिए संभव नहीं है। अमेरिका एक तरफ ईरान के मुद्दे पर सीधे टकराव में है इसके साथ ही उत्तर कोरिया का मुद्दा भी उसके सामने है। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ये हो सकता है कि वो आतंकी संगठनों और आतंकियों के खिलाफ कुछ चयनात्मक कार्रवाई करे। 

पाक को सैन्य मदद पर अमेरिकी रोक
ट्रंप के एक जनवरी के ट्वीट के बाद ही अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सारी सैन्य सहायता रोक दी। प्रवक्ता ने कहा कि हमारी स्थिति बिल्कुल साफ है। हम आतंकियों की मदद करने वालों को आर्थिक और सैन्य सहायता नहीं दे सकते। पाकिस्तान को अगर हमसे मदद चाहिए तो पहले वह तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को खत्म करे। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा, सुरक्षा परिषद को पाकिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने वाला रवैया छोड़ने के लिए दबाव डालना चाहिए। सुरक्षा परिषद के हाल के अफगानिस्तान दौरे के बारे में जानकारी देते हुए हेली ने बताया कि वहां की सरकार ने अनुरोध किया है कि आतंकी पनाहगाहों के विषय में पाकिस्तान पर दबाव डाला जाए। अफगान सरकार ने अनुरोध किया है कि सुरक्षा परिषद पाकिस्तान पर दबाव डालकर उसका आतंकवाद समर्थक आचरण खत्म कराए।

सबूत की कमी से जब सईद हुआ था रिहा

पाकिस्तान ने नवंबर में जमात-उद-दावा (जेयूडी) सरगना सईद को नजरबंदी से रिहा कर दिया था। रिहाई के बाद सईद ने इस साल होने वाले आम चुनाव में मिल्ली मुस्लिम लीग के बैनर के तहत जेयूडी के हिस्सा लेने का एलान किया। चुनाव आयोग में उसकी पार्टी का अभी रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। अमेरिका ने उसके चुनाव लड़ने पर चिंता जताई और पाकिस्तान से उसे फिर गिरफ्तार करने को कहा है। अमेरिका ने सईद के सिर पर एक करोड़ डॉलर (करीब 64 करोड़ रुपये) का इनाम रखा है। यह पूछने पर कि पाक सरकार सईद की पार्टी को मुख्यधारा में क्यों शामिल नहीं होने देती है अब्बासी ने कहा कि यह सरकार का फैसला नहीं है। चुनाव आयोग अपने नियमों के अनुसार काम करता है।


भारत से युद्ध का खतरा नहीं

पाकिस्तान के पीएम अब्बासी ने कहा कि भारत से युद्ध का कोई खतरा नहीं है। दोनों देशों को कश्मीर में एलओसी पर हालात बिगड़ने नहीं देना चाहिए। पाकिस्तान के परमाणु हथियार को धोखा बताने के सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान पर अब्बासी ने कहा कि पाकिस्तान परमाणु संपन्न है। हमने इसका प्रदर्शन किया है।
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