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बलूचिस्तान से उठी आवाज, मुशर्रफ को आातंकी घोषित करे अमेरिका

बलूच लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली प्रोफेसल नाएला कादरी बलूच ने कहा कि अब अमेरिका को मुशर्रफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 02:43 PM (IST)Updated: Sat, 02 Dec 2017 03:38 PM (IST)
बलूचिस्तान से उठी आवाज, मुशर्रफ को आातंकी घोषित करे अमेरिका
बलूचिस्तान से उठी आवाज, मुशर्रफ को आातंकी घोषित करे अमेरिका

नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ]। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कुछ दिन पहले कहा था कि वो लश्कर सरगना हाफिज सईद के सबसे बड़े समर्थक हैं। मुशर्रफ के इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय जगत में हलचल है। मुशर्रफ जब हाफिज और उसके संगठन जमात-उत-दावा के पक्ष में तकरीरें कर रहे थे, उसके ठीक बाद पाकिस्तान के ही एक प्रांत बलूचिस्तान से आवाज उठी। बलूच लोगों के अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ा रहीं प्रोफेसर नायला बलूच कादरी ने कहा कि अब तो साफ है कि परवेज मुशर्रफ एक आतंकी और उसके संगठन को बढ़ावा दे रहे थे। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका को अब आगे आना चाहिए। अमेरिका को न केवल आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने की आवश्यकता है, बल्कि परवेज मुशर्रफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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'मुशर्रफ को आतंकी घोषित करे अमेरिका'

वर्ल्ड बलूच वीमेन फोरम की अध्यक्ष प्रोफेसर नाएला कादरी बलूच ने कहा कि अब ये साफ हो चुका है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ, आतंकी हाफिज सईद के कितने बड़े हमदर्द थे। उन्होंने कहा कि अब अमेरिका को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है। परवेज मुशर्रफ को आतंकी घोषित करने में देरी नहीं करनी चाहिए। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वो कहती हैं कि एग्जीक्यूटिव ऑर्डर 13224 के तहत परवेज मुशर्रफ की अमेरिका स्थित संपत्तियों का अमेरिकी प्रशासन जब्त कर सकता है। यही नहीं अब जबकि परवेज मुशर्रफ सार्वजनिक तौर ये कबूल कर चुके हैं वो लश्कर और हाफिज के सबसे बड़े समर्थक हैं,तो इससे साफ है कि उन्होंने अपने शासन काल में लश्कर को किस हद तक मदद पहुंचाई होगी। अमेरिका को गहराई से इस बात की जांच करनी चाहिए कि मुशर्रफ के शासन के दौरान लश्कर-ए- तैयबा किस हद तक पाकिस्तानी शासन को प्रभावित करता रहा होगा। इसके साथ इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि क्या अमेरिकी मदद का इस्तेमाल बलूच लोगों के नरसंहार में नहीं हुआ होगा।

नाएला कादरी बलूच ने ये भी कहा कि परवेज मुशर्रफ के हाथ बलूचियों के खून से सने हुए है। अब जरूरत इस बात की है कि परवेज मुशर्रफ के खिलाफ मुकदमा चलाकर उन्हें काल कोठरी में बंद कर दिया जाए। बलूचियों की पीड़ा को जाहिर करते हुए वो कहती हैं कि परवेज मुशर्रफ कहा करते थे कि जो लोग पाकिस्तान में रहकर पाक झंडे को जलाते हैं या पाकिस्तान खिलाफ जहर उगलते हैं उन लोगों का कत्लेआम जायज है। अब उपयुक्त समय आ चुका है कि जब अमेरिका गंभीरता से ये सोचने की जरूरत है कि परवेज मुशर्रफ, लश्कर के संबंधों को किस तरह से खत्म किया जा सकता है। वो कहती हैं कि दुनिया के दूसरे मुल्कों को भी इस सच्चाई को समझने की जरूरत है कि किस तरह से लश्कर और दूसरे संगठन बलूचियों के कत्लेआम के लिए जिम्मेदार हैं। परवेज मुशर्रफ, लश्कर और जमात उत दावा के नापाक गठबंधन को उजागिर करने के लिए उनका संगठन सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मंचों के सामने अपनी बात रखेगा।

जानकार की राय
दैनिक जागरण से खास बातचीत में प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अगर देखें तो बलूचिस्तान को पाकिस्तान ने एक तरह से अपने कब्जे में ले लिया था। बलूच लोगों के मानवाधिकारों का हनन आम बात है। पाकिस्तान सरकार के खिलाफ जो आवाज पहले दबी जुबान में सुनने को मिलती थी अब वो लोग खुल कर सामने आ रहे हैं। जहां तक परवेज मुशर्रफ के संबंध में प्रोफेसर नाएला कादरी बलूच का बयान है वो गंभीर है। मुशर्रफ ने अपनी स्वीकार्यता बनाए रखने के लिए हाफिज राग को छेड़ा था। लेकिन वो बयान मुशर्रफ के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। अमेरिका पहले ही साफ कर चुका है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वो अच्छा या बुरा नहीं देखेगा। ऐसे में ये उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में अमेरिकी रुख में कुछ खास बदलाव देखने को 

परवेज मुशर्रफ ने क्या कहा

मुशर्रफ ने कहा था कि वो लश्कर-ए-तैयबा के सबसे बड़े समर्थक हैं। उन्हें ये पता है कि लश्कर के लोग भी उनको पसंद करते हैं। पाकिस्तान के ARY टीवी के साक्षात्कार में जब ये पूछा गया कि क्या वो उस शख्स की बखान कर रहे हैं जो मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार हैं, मुशर्रफ ने सहमति जताते हुए कहा कि हाफिज कश्मीर में सक्रिय है और वो वहां के लोगों को नैतिक समर्थन दे रहा है। मुशर्रफ ने कहा कि जहां तक मुंबई हमलों की बात है उस संबंध में हाफिज अपनी संलिप्तता से इनकार कर चुका है। लिहाजा आप उसकी भूमिका पर सवाल नहीं उठा सकते हैं।

हाफिज और लश्कर के गुणगान में मुशर्रफ एक कदम और आगे जा कर कहते हैं कि ये बात सच है कि 2002 में उनकी सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। लेकिन उस वक्त वो हाफिज के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते थे। अगर आज वो सरकार में होते तो लश्कर को बैन नहीं करते। अपनी बात को रखते हुए वो कहते हैं अब वो हाफिज को अच्छी तरह से जान चुके हैं। इसके साथ ही मुशर्रफ ने कहा कि उनका मानना रहा है कि कश्मीर में भारतीय फौज के साथ लश्कर प्रोफेशनल तरीके से लड़ रही है। वो हमेशा ये चाहते रहे हैं कि भारतीय फौज को दबाने के लिए जो ताकतें सामने आएंगी उनका वो समर्थन करेंगे। 

इससे पहले दैनिक जागरण से खास बातचीत में प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा था कि कि परवेज मुशर्रफ के बयान को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। दरअसल वो पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में अपनी स्वीकार्यता बनाए रखने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। ये तो तथ्य है कि पाकिस्तान की अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर रखा है। लिहाजा वो इस तरह की हल्की बातें कर रहे हैं। पाकिस्तान भले ही इस हकीकत को न स्वीकार करे कि हाफिज का हाथ मुंबई हमलों में नहीं था। लेकिन सच ये है कि मुंबई हमलों के बाद ही अमेरिका ने हाफिज के सिर पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा। हर्ष वी पंत कहते हैं कि पाकिस्तान के जन्म से लेकर आज तक वहां के सियासदानों को लगता है कि भारत विरोध के जरिए वो उन देशों की सहानुभूति प्राप्त कर सकेंगे जो भारत आर्थिक ताकत से डरते थे। पाकिस्तान की बुनियाद में नफरत के जो बीज पड़े उसका उपयोग वहां के राजनीतिक दल अपनी सत्ता को बनाने या बचाए रखने के लिए करते हैं। परवेज मुशर्रफ के बयान को आप उसी संदर्भ में देख सकते हैं।
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