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    Indus Water Treaty: सिंधु जल संधि को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट में गिड़गिड़ाएगा पाकिस्तान, जानें क्यों फेल होगा प्लान

    साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि समझौता हुआ था। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा एक्शन लेते हुए सिंधु जल संधि को खत्म करने का फैसला लिया है जिसे लेकर पाकिस्तान बौखला गया है। सिंधु जल संधि को लेकर भारत द्वारा लिए गए एक्शन में राहत पाने के लिए पाकिस्तान इंटरनेशनल कोर्ट जाने का प्लान बना रहा है।

    By Digital Desk Edited By: Prince Gourh Updated: Wed, 30 Apr 2025 10:50 AM (IST)
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    इंटरनेशनल कोर्ट जाने की तैयारी में पाकिस्तान (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि समझौता हुआ था। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा एक्शन लेते हुए सिंधु जल संधि को खत्म करने का फैसला लिया है, जिसे लेकर पाकिस्तान बौखला गया है।

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    सिंधु जल संधि को लेकर भारत द्वारा लिए गए एक्शन में कुछ राहत पाने के लिए पाकिस्तान इंटरनेशनल कोर्ट जाने का प्लान बना रहा है। बता दें, साल 1965, 1971 और 1999 में दोनों देशों के बीच हुए तीन युद्धों के बाद भी यह संधि कायम रही थी। लेकिन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत से इसे खत्म करने का फैसला लिया है।

    भारत के खिलाफ एक्शन लेगा पाक?

    पहले से ही जल संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने इस नई मुसीबत का समाधान खोजन शुरू कर दिया है। अपने प्लान को लेकर पाक के कानून और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक ने कहा कि पाकिस्तान तीन अलग-अलग विकल्पों पर काम कर रहा है।

    उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा वह विश्व बैंक के सामने भी इस मुद्दे को उठा सकता है। पाक इंटरनेशनल कोर्ट में आरोप लगा सकता है कि भारत ने संधियों के कानून पर 1969 के वियाना कन्वेनेंशन का उल्लंघन किया है। साथ ही पाकिस्तान इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी उठा सकता है।

    पाकिस्तान का प्लान होगा फेल

    • इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) पूरी तरह से राज्यों की सहमति पर आधारित है।
    • इसमें राज्यों को क्षेत्राधिकार की घोषणाओं के जरिए अपनी स्वकृति पूरी तरह से या आंशिक रूप से घोषित करनी होती है।
    • 27 सितंबर साल 2019 को भारत ने ICJ की क्षेत्राधिकार को अनिवार्य रूप से मान्यता देने वाली एक घोषणा पेश की थी।
    • घोषणा में भारत ने उन 13 उपवादों के बारे में बताया था, जिनमें भारत पर ICJ का क्षेत्राधिकार लागू नहीं होगा।
    • इसमें एक अपवाद ये है कि ICJ के पास किसी ऐसे राज्य की सरकार के साथ विवादों के लिए क्षेत्राधिकार नहीं होगा जो राष्ट्रमंडल देशों ( Commonwealth Nations) का सदस्य है या रहा हो।
    • पाकिस्तान ICJ का सदस्य है तो वह भारत को ICJ में नहीं ले सकता है।
    • ICJ के पास शत्रुता, सशस्त्र संघर्ष, आत्मरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा के लिए उठाए गए कदमों से जुड़े मामलों पर भी क्षेत्रधिकार नहीं होगा।

    विश्व बैंक क्यों नहीं कर सकता मदद?

    पाकिस्तान इस संधि को लेकर विश्व बैंक के सामने भी गुहार लगाने का प्लान बना रहा है, लेकिन विश्व बैंक के पास भी सिंधु जल संधि को लेकर कोई क्षेत्राधिकार नहीं है, सिवाय दोनों पक्षों के बीच संधि या सुलह करवाने के।

    विश्व बैंक सिर्फ एक सलाहकार के रूप में अपनी सुविधा दे सकता है। 1960 में भी विश्व बैंक ने मध्यस्थ के रूप में भारत-पाक के बीच सिंधु जल संधि करवाई थी। वहीं इसके किसी भी सुझाव या सिफारिश को अस्वीकार भी किया जा सकता है।

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