भारत ने सिंधु का पानी रोका तो प्यास से तड़पेंगे पाकिस्तानी, रिपोर्ट में खुलासा
आईईपी की रिपोर्ट के अनुसार, सिंधु नदी बेसिन पर निर्भर पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र खतरे में हैं। भारत के बांध संचालन में बदलाव से पाकिस्तान में जल संकट बढ़ सकता है, क्योंकि उनके बांध केवल 30 दिनों का जल संग्रह कर सकते हैं। भारत का कोई भी कदम पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

सिंधु नदी के प्रवाह में भारत का मामूली बदलाव पाकिस्तान को गंभीर खतरे में डाल सकता। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईईपी की पारिस्थितिक खतरा रिपोर्ट 2025 के अनुसार, पाकिस्तान की उन क्षेत्रों की कृषि खतरे में है, जो सिंधु नदी बेसिन पर निर्भर है। भारत के बांध संचालन में मामूली बदलाव से पाकिस्तान में जल संकट बढ़ सकता है। क्योंकि पाकिस्तान के बांध केवल 30 दिनों का जल संग्रह कर सकते हैं। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है, जिससे पाकिस्तान की कृषि असुरक्षित हो गई है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंधु जल समझौते पर भारत का रुख पाकिस्तान के लिए बड़ी चिंता का विषय है। क्योंकि भारत छोटे कदम भी उठाता है तो पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर सिंचाई प्रभावित होगी। ऐसे में भारत का बड़ा और निर्णायक कदम पाकिस्तान को भारी नुकसान कर सकता है।
सिडनी स्थित थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (आईईपी) की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान, जिसकी 80% कृषि सिंधु बेसिन के पानी पर निर्भर है, को पानी की कमी के गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि भारत के पास अपनी तकनीकी क्षमता के भीतर सिंधु नदी के प्रवाह को बदलने की क्षमता है।
जल-बंटवारे को लेकर बाध्य नहीं है भारत
दरअसल, आईईपी की यह रिपोर्ट पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा 1960 की सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने के कुछ महीनों बाद आई है। संधि को स्थगित रखने के कारण, भारत वर्तमान में आईडब्ल्यूटी के तहत अपने जल-बंटवारे के दायित्वों से बाध्य नहीं है । 1960 के समझौते के तहत, भारत ने पश्चिमी नदियों, सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान के साथ साझा करने की सहमति दी थी, जबकि व्यास, रावी और सतलुज सहित पूर्वी नदियों पर अपने उपयोग के लिए नियंत्रण बनाए रखा था। हालांकि, भारत भारत जल प्रवाह को पूरी तरह से रोक या मोड़ नहीं सकता।
आईईपी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अगर भारत सिंधु नदी के प्रवाह को रोक दे या उसमें कुछ कमी कर दे तो पाकिस्तान के घनी आबादी वाले मैदानी इलाकों को, विशेष रूप से सर्दियों और शुष्क मौसम में, पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ेगा।
सिंधु जल संधि समझौता
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान में सिंधु जल संधि (IWT) 1960 में हुई थी। यह जल संधि भारत और पाकिस्तान में बहने वाली छह नदियों के पानी बंटवारे को लेकर है। अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को रद करने का ऐलान कर दिया। फिहलाल भारत इस निलंबन के बाद से पानी साझा करने की शर्तों को लेकर फंसा नहीं है।
सिर्फ 30 दिन का पानी स्टोर कर सकता है पाकिस्तान
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास सिर्फ 30 दिन का पानी स्टोर करने की क्षमता है। इसलिए इसे मौसमी पानी की कमी का खतरा बना रहता है। अगर भारत थोड़े समय के लिए भी पानी के प्रवाह में रुकावट या बदलाव करता है तो उसे गंभीर नुकसान हो सकता है। भारत की पश्चिम नदियों पर जो बांध है, उस पर ज्यादा पानी नहीं रोके जा सकते हैं। हालांकि, भारत के पास बांध के गेट खोलने-बंद करने और पानी का समय निर्धारित करने का अधिकार है। जिससका पाकिस्तान पर असर पड़ सकता है।

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