Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान... सिंधु के जल को उत्तर भारत के राज्यों तक पहुंचाने के लिए मोदी सरकार का मेगा प्लान तैयार

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 05:48 PM (IST)

    केंद्र सरकार उत्तर भारत की जल आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु सिंधु नदी प्रणाली में बदलाव की तैयारी में है। पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के बाद भारत ने 14 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की परियोजना शुरू की है जो सिंधु नदी को व्यास नदी से जोड़ेगी। इस परियोजना को 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले पूरा करने का लक्ष्य है।

    Hero Image
    सिंधु के जल को उत्तर भारत के राज्यों तक पहुंचाने के लिए मेगा प्लान तैयार (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार उत्तर भारत के राज्यों की जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सिंधु नदी प्रणाली में बड़े पैमाने पर बदलाव की तैयारी कर रही है।

    पाकिस्तान से साथ सिंधु जल समझौते को निलंबित करते के बाद भारत ने यह बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है। सरकार की कोशिश है कि यह परियोजना 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले तैयार हो जाए।

    सिंधु नदी को व्यास नदी से जोड़ेगी परियोजना

    बीते शुक्रवार को वरिष्ठ मंत्रियों की समीक्षा बैठक में बताया गया कि 14 किलोमीटर लंबी सुरंग के निर्माण के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो सिंधु नदी को व्यास नदी से जोड़ेगी। ये दोनों ही नदिया सिंधु नदी प्रणाली का हिस्सा हैं। इस परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम एलएंडटी को सौंपा गया है। इसके अगले साल तक तैयार होने की उम्मीद है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    113 किलोमीटर लंबी नहर के काम की समीक्षा

    सूत्रों ने बताया कि बैठक में सिंधु नदी का पानी उत्तरी राज्यों तक पहुंचाने के लिए प्रस्तावित 113 किलोमीटर लंबी नहर के काम की भी समीक्षा की गई।

    साल 1960 में विश्व बैंक के हस्तक्षेप से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंघु जल समझौता अस्तित्व में आया था। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने इसे स्थगित कर दिया।

    पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते

    केंद्र सरकार ने कहा कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। इसके बाद से ही सरकार सिंधु नदी के पानी को इस्तेमाल को लेकर एक विस्तृत योजना पर काम कर रही है। इसे पूरा करने के इंटर-बेसिन इंडस वाटर ट्रांसफर स्कीम के तहत एक महत्वकांक्षी परियोजना की परिकल्पना की गई है और सरकार इस पर निगरानी कर रही है।

    14 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण सबसे चुनौतीपूर्ण

    सूत्रों के मुताबिक, इस परियोजना का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा 14 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण है। इस सुरंग का निर्माण करने के लिए पहाड़ी चट्टानों की डिटेल स्टडी की आवश्कता होगी और कमजोर चट्टानों की स्थिति में सुरंग को पाइपों के जरिए बिछाया जाएगा। डीपीआर रिपोर्ट मिलने के बाद इसका निर्माण शुरू हो जाएगा।

    यह भी पढ़ें- सिंधु जल संधि निलंबित होने से दिल्ली को मिलेगा पर्याप्त पानी, मनोहर लाल बोले- डैम निर्माण का कार्य जल्द शुरू होगा