चीन कर रहा लोगों का शोषण, जारी रहेगा साम्राज्यवादी एजेंडे का विरोध; बलूचिस्तान में जिनफिंग के खिलाफ उठी आवाज
चीन पाकिस्तान की सेना की मदद से बलूचिस्तान में लोगों पर अत्याचार करने में जुटा है। बलूचिस्तान में उसकी परियोजनाएं लोगों से जबरन भूमि छीन रही हैं। यह आरोप बलूच कार्यकर्ता नसीम बलूच ने लगाया है। उन्होंने कहा कि चीन का विरोध बलूचिस्तान में जारी रहेगा। नसीम ने पाकिस्तान सेना की कार्रवाई की भी निंदा की है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बड़ी मांग की।
एएनआई, बलूचिस्तान। पाकिस्तान सीमा बलूचिस्तान में जबरन लोगों को गायब करने में जुटी है। इस बीच पाकिस्तान सरकार ने बड़े सैन्य अभियान की घोषणा की है। सरकार के इस फैसले का बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के अध्यक्ष नसीम बलूच ने निंदा की। उन्होंने बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संघर्ष में पाकिस्तान और चीन की भूमिका के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई की अपील की। नसीम ने चीन पर भी निशाना खूब साधा और कहा कि बलूच लोग चीन का विरोध लगातार करते रहेंगे।
बलूच लोगों का उत्पीड़न कर रहा पाकिस्तान
नसीम ने कहा कि पाकिस्तान और चीन लगातार बलूच लोगों का उत्पीड़न कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सरकार अक्सर बलूचिस्तान में भविष्य के सैन्य अभियानों की धमकी देती है। मगर चल रही सैन्य कार्रवाइयों को छिपाने के लिए मनोवैज्ञानिक रणनीति के रूप में भविष्य की बात करता है।
इन बयानों का उद्देश्य बलूचिस्तान में पाकिस्तान के अत्याचारों से ध्यान हटाना है। ताकि यह कहा जा सके कि पाकिस्तान अभी बलूचिस्तान में सक्रिय रूप से शामिल नहीं है। नसीम ने कहा कि यह रणनीति बलूच आबादी को डराने और उन्हें प्रभावित करने वाले वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का भी काम करती है।
पाकिस्तान क्यों चला रहा सैन्य अभियान?
नसीम ने कहा कि बलूचिस्तान खनिजों से समृद्ध है। मगर यहां के लोग गरीब हैं। बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। पाकिस्तान यहां के संसाधनों का दोहन कर रहा है। सैन्य अभियान के पीछे एक वजह यह भी है। उन्होंने कहा कि बलूच लोग तभी शांति और समृद्धि पा सकेंगे, जब भूमि और संसाधनों पर उनका अधिकार हो।
तो बदला ले रहा है पाकिस्तान
नसीम ने कहा कि पिछले दो दशकों में बलूचिस्तान के प्रतिरोधी संगठनों ने गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से पाकिस्तानी सेना के सबसे बड़ी चुनौती खड़ी की है। अब पाकिस्तान सामूहिक रूप से बलूच लोगों को दंड देकर इस प्रतिरोध का बदला ले रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें हत्याएं, जबरन गायब करना और अमानवीय यातनाएं शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर भी सवाल
नसीम बलूच ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूच लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को मान्यता देने और बलूचिस्तान में चल रहे मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की चुप्पी नरसंहार में मिलीभगत के बराबर है।
चीन को भी घेरा
नसीम ने बलूचिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान में चीन की बढ़ती भागीदारी पर भी बात की। उन्होंने चीन पर आरोप लगाया कि वह क्षेत्र में पाकिस्तान की क्रूर कार्रवाइयों का समर्थन कर रहा है, ताकि वह अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ा सके। खास तौर पर ग्वादर पोर्ट और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) जैसी परियोजनाओं के माध्यम से। उन्होंने कहा कि चीन की यह परियोजनाएं शोषणकारी हैं।
जारी रहेगा चीन के साम्राज्यवादी एजेंडे का विरोध
यह परियोजनाएं बलूच लोगों को उनकी जमीन से बेदखल करने को मजबूर कर रही हैं। उन्होंने कसम खाई कि बलूच लोग चीन के साम्राज्यवादी एजेंडे का विरोध करना जारी रखेंगे। नसीम ने कहा कि चीन-पाकिस्तान गठबंधन बलूच भूमि, राष्ट्रीय पहचान और अस्तित्व के लिए सीधा खतरा है।
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