92 साल की उम्र में राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में दुनिया का सबसे बुजुर्ग नेता, 1982 से सत्ता पर काबिज
92 वर्षीय पॉल बिया, जो दुनिया के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति हैं, कैमरून में फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। 43 वर्षों से सत्ता में काबिज बिया को सरकारी नियंत्रण और कमजोर विपक्ष के कारण जीतने की उम्मीद है। उनके सामने 11 प्रतिद्वंद्वी हैं, जिनमें इस्सा चिरोमा बाकरी प्रमुख हैं। बिया 1982 में सत्ता में आए थे। उनके कुछ सहयोगियों और बेटी ने भी उनका विरोध किया है। लगभग 80 लाख लोग मतदान करने के लिए पात्र हैं।

पॉल बिया, कैनरून के राष्ट्रपति। (रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति पॉल बिया, 92 साल की उम्र में एक बार फिर चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं। 43 सालों से कैमरून की सत्ता पर काबिज पॉल बिया को इन चुनावों में भी एक और कार्यकाल मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद वो 99 साल की उम्र तक इस पद पर बने रहेंगे।
एक्सपर्ट का कहना है कि बिया का फिर से चुना जाना लगभग तय है, जो आंशिक रूप से सरकारी संस्थाओं पर उनकी पकड़ और कमजोर विपक्ष के कारण है। इस बार, बिया को 11 प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें पूर्व सरकारी प्रवक्ता 79 साल के इस्सा चिरोमा बाकरी भी शामिल हैं, जो उनके सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरे हैं।
बिया ने मंगलवार को मारूआ में अपने चुनाव प्रचार अभियान में पहली और एकमात्र रैली के दौरान अपने भाषण में कहा, "मैं आपकी समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हूं। अपने अनुभव के आधार पर, मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि ये समस्याएं असाध्य नहीं हैं।"
पहली बार कब सत्ता में आए बिया ?
पॉल बिया साल 1982 में अपने पूर्ववर्ती, कैमरून के पहले राष्ट्रपति अहमदौ अहिदजो के इस्तीफे के बाद सत्ता में आए और तब से देश पर शासन कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि 1960 में आजादी के बाद से कैमरून ने केवल दो ही नेता देखे हैं। राष्ट्राध्यक्ष के रूप में सत्ता संभालने से पहले, बिया 1975 से 1982 तक कैमरून के पांचवें प्रधानमंत्री थे।
चर्च, परिवार और पूर्व सहयोगियों ने किया किनारा
साल 2025, बिया के लिए मुश्किलों भरा रहा और उनके इस्तीफे की मांग भी तेज हो गई थी। कैथोलिक आर्चबिशप सैमुअल क्लेडा ने पिछले क्रिसमस पर फ्रांसीसी रेडियो पर कहा था कि बिया का देश का नेतृत्व करते रहना वास्तविक नहीं है। उनके दो पुराने सहयोगी, इस्सा चिरोमा और बेलो बूबा मैगारी, विपक्ष में शामिल हो गए। दोनों ने खुले तौर पर बिया की नेतृत्व क्षमता को चुनौती दी।
उनकी बेटी, ब्रेंडा बिया भी पद छोड़ने की मांग में शामिल हो गईं। एक वायरल हुए टिकटॉक वीडियो में, उन्होंने कहा कि उनके पिता ने बहुत से लोगों को कष्ट दिया है और नागरिकों से उन्हें वोट न देने का आग्रह किया। हालांकि बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया।
करीब 80 लाख लोग करेंगे मतदान
यूएन के अनुमानों के अनुसार, कैमरून की कम से कम 43 प्रतिशत आबादी गरीबी में रहती है, और इसके 3 करोड़ नागरिकों में से एक तिहाई 2 डॉलर प्रतिदिन से भी कम पर गुजारा करते हैं। इस साल, लगभग 80 लाख लोग, जिनमें 34,000 से ज्यादा विदेशी लोग शामिल हैं। इस मध्य अफ्रीकी देश में मतदान करने के पात्र हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।