जाम्बिया दौरे पर अपने नाना के घर पहुंची अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, बचपन के दिनों को किया याद
Kamala Harris अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने जाम्बिया की अपनी यात्रा के दौरान भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे अपने नाना पी वी गोपालन को याद किया और लुसाका में स्थित उनके घर का भी दौरा किया। (फाइल फोटो)

वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस इन दिनों जाम्बिया के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने अपने नाना पीवी गोपालन के घर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने अपने नाना और भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी पी वी गोपालन को याद किया।
मेरे लिए जाम्बिया की यात्रा का है विशेष महत्व- कमला हैरिस
अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने लुसाका में जाम्बिया के राष्ट्रपति हाकिंडे हिचिलेमा के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जैसा कि आपमें से बहुत से लोग जानते हैं, जाम्बिया की मेरी यात्रा का परिवार और मेरे लिए विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि मैं एक युवा लड़की के रूप में जाम्बिया में आई थी, जब मेरे नानजी ने यहां काम किया था।
हैरिस ने अपने नाना को किया याद
हैरिस ने कहा कि उनके नाना भारत में एक सिविल सेवक थे और 1966 में जाम्बिया की स्वतंत्रता के तुरंत बाद वह राहत उपायों और शरणार्थियों के निदेशक के रूप में काम करने के लिए लुसाका आए। यही उनकी उपाधि थी। उन्होंने जाम्बिया के पहले राष्ट्रपति केनेथ कौंडा के सलाहकार के रूप में कार्य किया और वह शरणार्थी पुनर्वास के विशेषज्ञ भी थे।
जाम्बिया में बिताई यादें आज भी हैं ताजा- कमला हैरिस
हैरिस ने कहा मुझे यहां बिताया हुआ समय बहुत याद आता है। मैं जब छोटी थी, उसकी यादें आज भी मेरे जहन में ताज है। मुझे याद है कि मैं यहां आने के बाद बहुत खुश और उत्तेजित होती थी। वास्तव में मैंने हाल ही में अपनी चाची के साथ बात की थी और उन्होंने मुझे उन रिश्तों की याद दिलाई थी, जो उन्होंने यहां बनाए थे। जब वह काम कर रही थी। उन्होंने बताया कि तब इसे लुसाका सेंट्रल अस्पताल कहा जाता था, जब वह वहां चिकित्सकों के साथ काम कर रही थी।
भारतीय सिविल सेवक रह चुके हैं हैरिस के नाना
कमला हैरिस ने कहा मेरे परिवार और हम सभी की ओर से यहां सभी को बधाई देते हैं। बता दें कि पीवी गोपालन को भारत सरकार द्वारा जनवरी 1966 में जाम्बिया सरकार में राहत उपायों और शरणार्थियों के निदेशक के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। उन्होंने भारत सरकार में पुनर्वास मंत्रालय में संयुक्त सचिव के कार्यालय के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका को भी त्याग दिया था। उन्होंने जुलाई 1969 में जाम्बिया सरकार से प्रत्यावर्तन पर पुनर्वास मंत्रालय में भारत सरकार के संयुक्त सचिव के कार्यालय का प्रभार फिर से शुरू किया था।
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