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    नेतन्याहू से मुलाकात कर UAE ने बढ़ाई अरब देशों की टेंशन, UNGA में चुनी अलग राह

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 07:23 PM (IST)

    UNGA में गाजा संघर्ष को लेकर अरब देशों ने इजरायल का विरोध किया लेकिन यूएई ने नेतन्याहू के भाषण का बायकाट नहीं किया और उनसे मुलाकात की। यूएई ने गाजा में युद्ध समाप्त करने और नागरिकों की जान बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस फैसले से अरब जगत में बहस छिड़ गई है कुछ इसे यूएई की प्रतिबद्धता मानते हैं जबकि कुछ सामूहिक अरब भावना के विपरीत बताते हैं।

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    नेतन्याहू से मुलाकात कर UAE ने बढ़ाई अरब देशों की टेंशन (X- @netanyahu)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गाजा संघर्ष को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में इजरायल पर अरब देशों का आक्रमण जारी रहा। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाषण का कई देशों ने विरोध करते हुए बायकाट किया। लेकिन संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अरब देशों के विपरीत न केवल नेतन्याहू के भाषण को सुना बल्कि उनके मुलाकात भी की।

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    जैसे-जैसे फलस्तीन में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है, आबू धाबी ने विरोध करने के बजाय, इजरायल से नजदीकी बढ़ाने का फैसला किया है। इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बंद दरवाजों के पीछे मुलाकात की और उनके भाषण के दौरान अरब राजनयिकों के साथ बाहर निकलने से इनकार कर दिया।

    यूएई के पीएम ने की नेतन्याहू से मुलाकात

    एक ऐसे देश के लिए जिसने कभी अरब एकजुटता का समर्थन करने का दावा किया था, यूएई इस बदले रुख ने क्षेत्रीय एकता और नैतिक स्पष्टता पर राजनीतिक दृष्टिकोण और रणनीतिक गठबंधनों को सोची-समझी प्राथमिकता देने का संकेत देती है।

    एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यूएई ने कहा कि बैठक का उद्देश्य "गाजा में युद्ध को समाप्त करने और नागरिकों की जान बचाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देना" था। दोनों नेताओं ने कथित तौर पर क्षेत्रीय तनाव कम करने और मानवीय पहुंच पर भी चर्चा की।

    UAE ने नहीं किया नेतन्याहू के भाषण का बायकॉट

    सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात की हो रही है वह थी संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल के अंदर हुई। नेतन्याहू के विश्व नेताओं को संबोधित करते समय, कई अरब प्रतिनिधियों, जिनमें जॉर्डन, कतर और अल्जीरिया के प्रतिनिधि भी शामिल थे, उन्होंने विरोध स्वरूप सभा से बाहर निकलने का फैसला किया। लेकिन संयुक्त अरब अमीरात के राजनयिक सभा हॉल के अंदर ही रहे और इस प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए।

    UAE के फैसले से छिड़ी अरब देशों में नई बहस

    संयुक्त अरब अमीरात के इस फैसले ने पूरे अरब जगत में बहस छेड़ दी है। जहां कई लोग इसे अब्राहम समझौते के तहत अबू धाबी की बातचीत के प्रति प्रतिबद्धता की निरंतरता के रूप में देखते हैं, वहीं कुछ अन्य इसे गाजा में बढ़ते नागरिक हताहतों के मद्देनजर सामूहिक अरब भावना के साथ तालमेल बिठाने के बजाय, इसके विपरीत बताते हैं।

    यह कदम संयुक्त अरब अमीरात द्वारा एक नाजुक कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने के प्रयास को दर्शाता है। इजराइल के साथ संबंधों को बनाए रखते हुए टू-स्टेट सॉल्यूशन और मानवीय कूटनीति के लिए समर्थन दोहराना।

    इजरायल से दूरी नहीं, जुड़ाव की कोशिश

    जैसे-जैसे गाजा में युद्ध जारी है, संयुक्त अरब अमीरात की रणनीति अलगाव की नहीं, बल्कि जुड़ाव की प्रतीत होती है। शायद यह उम्मीद करते हुए कि संकट के समय में भी, सभी पक्षों से बात करना, सभा से बाहर निकलने से ज्यादा प्रभावी है।

    गाजा में युद्ध समाप्त करने के लिए बैठक

    यूएई के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक पोस्ट में कहा कि विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद ने "गाजा में युद्ध समाप्त करने, एक स्थायी और टिकाऊ युद्धविराम पर पहुंचने और अधिक जनहानि रोकने और नागरिकों के सामने मौजूद दुखद परिस्थितियों का अंत करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।"

    पोस्ट में यह भी कहा गया कि उन्होंने "टू-स्टेट सॉल्यूशन पर आधारित व्यापक शांति प्राप्त करने के सभी प्रयासों के लिए यूएई के समर्थन की पुष्टि की"।

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