तालिबान कैबिनेट में बदलाव की सुगबुगाहट, पेशेवर व विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को किया जाएगा शामिल
तालिबान की गैर समावेशी सरकार में बदलाव की सुगबुगाहट हो रही है। मौजूदा सरकार में महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी ने कहा कि सरकार में पेशेवर अधिकारियों के समावेश के साथ कई बदलाव की कवायद जारी है।
काबुल, एएनआइ। तालिबान की गैर समावेशी सरकार में बदलाव की सुगबुगाहट हो रही है। मौजूदा सरकार में महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है।टोलो न्यूज ने तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी के हवाले से शुक्रवार को कहा कि सरकार में पेशेवर अधिकारियों के समावेश के साथ कई बदलाव की कवायद जारी है। करीमी ने कहा, 'मंत्रिमंडल में समाज के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेषज्ञों और मेधावियों को मौका दिया जाएगा।'
पाकिस्तान में अफगानी दूतावास की कमान संभाला
तालिबान ने इस्लामाबाद में स्थित अफगानिस्तानी दूतावास की कमान संभाल ली। टोलो न्यूज के अनुसार, दूतावास ने इस आशय की सूचना फेसबुक पेज पर साझा की है। उधर, तालिबान की अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने जल्द ही पाकिस्तान दौरे का एलान किया है। मुत्ताकी को काबुल दौरे के दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने आमंत्रित किया था।
बेल्जियम में अफगानिस्तान के राजदूत ने पाकिस्तान को कोसा
बेल्जियम, यूरोपीय यूनियन व नाटो में अफगानिस्तान के राजदूत नजीफुल्लाह सलारजई ने अपने देश के मौजूदा राजनीतिक व आर्थिक हालात पर चिंता जताई और पाकिस्तान पर तालिबान के समर्थन का आरोप लगाया। साउथ एशिया डेमोक्रेटिक फोरम की तरफ से बुधवार को आयोजित सवाल-जवाब सत्र में सलारजई ने देश में बढ़ती मानवीय आपदा पर चिंता जताई।
तालिबान ने महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रोका
ह्यूमन राइट वाच ने कहा है कि तालिबान ने महिलाओं को उसके कार्यकर्ता के रूप में काम करने से रोक दिया है। इससे अफगानिस्तान में लोगों तक पहुंचने वाली मदद में बाधा आ रही है। 34 में से सिर्फ तीन प्रांतों में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को काम करने की इजाजत है।
चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानी उत्पाद के निर्यात पर रोक
अफगानिस्तान चेंबर आफ कामर्स एंड इन्वेस्टमेंट के अधिकारियों के हवाले से स्थानीय मीडिया ने कहा है कि ईरान के चाबहार होते हुए अफगानिस्तानी सामग्री के निर्यात पर पिछले तीन महीने से रोक लगी हुई है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि निर्यात की धीमी गति के लिए देश की मौजूदा राजनीतिक स्थितियां जिम्मेदार हैं। चाबहार होते हुए निर्यात पर रोक के कारण जीडीपी पर गहरा असर पड़ा है।