बस 48 घंटे और... यून सुक योल को नहीं मिली कोर्ट से राहत, अब दक्षिण कोरिया में आगे क्या होगा?
दक्षिण कोरिया की राजनीति इस समय किसी हाईवोल्टेज ड्रामा से कम नहीं है। एक तरफ राष्ट्रपति यून सुक योल महाभियोग का सामना कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनके खिलाफ एंटी करप्शन एजेंसी जांच कर रही है। गुरुवार को अदालत ने योल को राहत देने से इंकार कर दिया। अब जांच एजेंसी के पास गिरफ्तारी की अपील के लिए महज 48 घंटों का वक्त बचा है।
एपी, सियोल। दक्षिण कोरिया में महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक योल को अदालत से राहत नहीं मिली। उन्हें बुधवार को उनके आवास से हिरासत में लिया गया था। योल ने दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगाने का एलान कर दिया था, जिसके संबंध में एजेंसियां उनसे पूछताछ कर रही हैं।
बुधवार को भ्रष्टाचार जांच विभाग में उनसे करीब 10 घंटे कर पूछताछ चली। लेकिन उन्होंने चुप रहने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। इसके बाद उन्हें सिओल के पास स्थित डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया।
कोर्ट ने खारिज की याचिका
वकीलों ने सियोल की सेंट्रल जिला अदालत से योल की रिहाई की मांग की और वेस्टर्न कोर्ट द्वारा जारी डिटेंशन आदेश पर सवाल खड़े किए। हालांकि सेंट्रल कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
(फोटो: रॉयटर्स)
योल को एंटी करप्शन एजेंसी ने कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। इसके बाद पुलिस ने सैकड़ों जवानों के साथ जबरन उनके सियोल स्थित आवास में दाखिल होकर योल को हिरासत में ले लिया था।
एजेंसी के पास 48 घंटे
- एंटी करप्शन एजेंसी, पुलिस और मिलिट्री के साथ संयुक्त रूप से जांच कर रही है कि क्या यून के मार्शल लॉ लगाने के आदेश को बगावत के तौर पर देखा जाना चाहिए या नहीं।
- एजेंसी को 48 घंटे के भीतर योल की आधिकारिक रूप से गिरफ्तारी के लिए अदालत से अनुरोध करना होगा या फिर उन्हें रिहा करना पड़ेगा।
- योल के वकीलों ने कहा कि बुधवार को उनके राष्ट्रपति आवास पर हुई रेड और उन्हें हिरासत में लिया जाना पूरी तरह से गैर कानूनी है।
- हालांकि सुरक्षा कारणों से यून सुक योल खुद सेंट्रल जिला कोर्ट की सुनवाई के दौरान पेश नहीं हुए।
- अदालत और डिटेंशन सेंटर के बाहर योल के समर्थकों ने बड़ी संख्या में रैली निकालकर उनके पक्ष में पोस्टर लहराए और रिहाई की मांग की।
लगाया था मार्शल लॉ
3 दिसंबर 2024 को दक्षिण कोरिया में यून सुक योल ने मार्शल लॉ लगाने का एलान किया था। 1980 के बाद दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र पर यह पहला हमला था। हालांकि यह सिर्फ कुछ घंटों तक ही प्रभावी रहा और बाद में इसे वापस ले लिया गया।
(फोटो: रॉयटर्स)
14 दिसंबर को विपक्ष ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर वोट कर राष्ट्रपति पद की शक्तियां छीन लीं। अब गेंद संवैधानिक न्यायालय के पाले में है, जिसे तय करना है कि योल को पद से हटाना है या उन पर लगे आरोप खारिज करने हैं।
अदालत करेगी फैसला
योल के वकीलों ने संवैधानिक अदालत से गुरुवार को होने वाली सुनवाई टालने की अपील की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। हालांकि योल को अभी भी ये अधिकार है कि वह सुनवाई में पेश हों या नहीं।
अगर कोर्ट योल की आधिकारिक गिरफ्तारी का आदेश देती है, तो एंटी करप्शन एजेंसी उनका डिटेंशन 20 दिन के लिए बढ़ा सकती है।
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