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    सऊदी अरब और पाकिस्तान ने रक्षा समझौते पर किए हस्ताक्षर, मामले पर भारत की पैनी नजर

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Thu, 18 Sep 2025 06:56 AM (IST)

    सऊदी अरब और परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान ने एक औपचारिक आपसी रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। पाकिस्तानी सरकारी टेलीविजन ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस कदम से दशकों पुरानी सुरक्षा साझेदारी और मजबूत होगी। यह समझौता दोनों देशों की अपनी सुरक्षा बढ़ाने तथा क्षेत्र और विश्व में सुरक्षा और शांति प्राप्त करने की साझी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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    सऊदी अरब और पाकिस्तान ने रक्षा समझौते पर किए हस्ताक्षर (फोटो- एक्स)

     रॉयटर, दुबई। सऊदी अरब और परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान ने एक औपचारिक आपसी रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। पाकिस्तानी सरकारी टेलीविजन ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस कदम से दशकों पुरानी सुरक्षा साझेदारी और मजबूत होगी।

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    यह समझौता दोनों देशों की अपनी सुरक्षा बढ़ाने तथा क्षेत्र और विश्व में सुरक्षा और शांति प्राप्त करने की साझी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के पहलुओं को विकसित करना तथा किसी भी आक्रमण के विरुद्ध संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करना है।

    पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

    पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि किसी भी देश के खिलाफ किसी भी आक्रमण को दोनों देशों के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा।

    प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की राजकीय यात्रा रियाद पहुंचे

    जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की रियाद की राजकीय यात्रा के दौरान 'रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते' पर हस्ताक्षर किए गए, जहां अल-यममाह पैलेस में क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने उनका स्वागत किया।

    हस्ताक्षर समारोह के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि लगभग आठ दशकों से चली आ रही साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए, और भाईचारे, इस्लामी एकजुटता और साझा रणनीतिक हितों के बंधनों पर आधारित, दोनों पक्षों ने रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए।

    बयान में कही गई है ये बात

    बयान में कहा गया है कि यह समझौता द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने और क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति में योगदान देने की संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को और विकसित करना और किसी भी आक्रमण के विरुद्ध संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करना है।