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    सऊदी अरब में 'कफाला सिस्टम' खत्म, मोहम्मद बिन सलमान ने लिया बड़ा फैसला; 25 लाख भारतीयों को राहत

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 06:02 PM (IST)

    सऊदी अरब ने 50 साल पुरानी कफाला प्रणाली को खत्म कर दिया है, जिससे 25 लाख भारतीयों समेत 1.3 करोड़ विदेशी श्रमिकों को राहत मिलेगी। इस व्यवस्था में नियोक्ता श्रमिकों के जीवन पर नियंत्रण रखते थे। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के 'विजन 2030' के तहत यह फैसला लिया गया है, जिसका उद्देश्य सऊदी अरब की वैश्विक छवि को सुधारना है। कफाला सिस्टम को मानव तस्करी के रूप में भी देखा जाता था।

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    सऊदी अरब में कफाला सिस्टम खत्म (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सऊदी अरब ने इस महीने आधिकारिक तौर पर 50 साल पुरानी कफाला (स्पॉन्सरशिप) सिस्टम को खत्म कर दिया है, जिसे आधुनिक दौर की गुलामी कहा जाता था। इस व्यवस्था के तहत विदेशी कर्मचारियों के जीवन पर उनके नियोक्ता पर पूरा नियंत्रण होता था, वह उसका पासपोर्ट तक रख सकता था और यह तय करता था कि वे कब नौकरी बदल सकते हैं या देश छोड़ सकते हैं।

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    इस निर्णय से करीब 1.3 करोड़ विदेशी मजदूरों को राहत मिलेगी, जिनमें लगभग 25 लाख भारतीय शामिल हैं। यह फैसला क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की 'विजन 2030' सुधार योजना का हिस्सा है, जिसका मकसद सऊदी अरब की वैश्विक छवि को सुधारना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।

    क्या था कफाला सिस्टम?

    1950 के दशक में शुरू हुई यह व्यवस्था मूल रूप से विदेश मजदूरों की निगरानी के लिए बनाई गई थी। हर विदेशी श्रमिक को एक कफील से जोड़ा जाता था, जो उसकी नौकरी, वेतन और यहां तक कि रहने की जगह पर भी नियंत्रण रखता था। सबसे चिंताजनक बात यह थी कि मजदूर अपने ही उत्पीड़क के खिलाफ शिकायत तक नहीं कर सकते थे, जब तक कि वही कफील अनुमति न दे।

    इस सिस्टम में महिलाओं की स्थिति सबसे खराब रही। कई भारतीय महिलाओं ने शारीरिक और यौन शोषण की शिकायत की। 2017 में गुजरात और कर्नाटक की महिलाओं के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के मामले भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद ही सुलझ पाए। एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं ने इसे मानव तस्करी का रूप बताया।

    क्यों खत्म किया गया कफाला सिस्टम?

    अंतरराष्ट्रीय दबाव, मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट और विदेशी नागरिकों की नाराजगी इस फैसले के पीछे की बड़ी वजह रही। आखिरकार क्राउन प्रिंस ने देश की वैश्विक साख और निवेश माहौल सुधारने के लिए कफाला सिस्टम को खत्म करने का फैसला लिया। हालांकि, यह व्यवस्था अब भी कुवैत, ओमान, लेबनान और कतर जैसे देशों में जारी है।

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