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शेख हसीना बोलीं- क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं रोहिंग्या शरणार्थी

अगस्त 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई सैन्य कार्रवाई के बाद लाखों रोहिंग्या ने भागकर बांग्लादेश में शरण ली थी।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 06:27 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:27 PM (IST)
शेख हसीना बोलीं- क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं रोहिंग्या शरणार्थी

ढाका, आइएएनएस। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि रोहिंग्या क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की अपील की है। बांग्‍लादेश में इस समय लगभग 11 लाख रोहिंग्या रहे हैं और उनकी संख्‍या लगातार बढ़ रही है, जिससे सरकार चिंतित है।

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हसीना ने सोमवार को यहां ढाका ग्लोबल डायलॉग 2019 का उद्घाटन करते हुए कहा, 'सैन्य कार्रवाई के कारण म्यांमार से पलायन कर आए रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के अलावा पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।' अगस्त, 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई सैन्य कार्रवाई के बाद लाखों रोहिंग्या ने भागकर बांग्लादेश में शरण ली थी। बांग्लादेश के शिविरों में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या अब बढ़कर 11 लाख से ज्यादा हो चुकी है।

हसीना ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, शांति और विकास के लिए देशों के बीच आपसी सहयोग की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने गरीबी को बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि साथ मिलकर काम करके इसे खत्म किया जा सकता है।

बता दें कि बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने की कई कोशिशें नाकाम रही हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के लिए इस साल के अगस्‍त महीने में पांच बसें और दस ट्रक बांग्लादेश के टेकनाफ शरणार्थी शिविर पहुंचे, लेकिन एक भी रोहिंग्या परिवार म्यांमार जाने को राजी नहीं हुआ। इससे पहले पिछले साल नवंबर में भी शरणार्थियों को वापस भेजने की कोशिश विफल रही थी।

उल्‍लेखनीय है कि साल 2017 के दौरान पश्चिमी म्‍यांमार में सैन्‍य कार्रवाइयों के चलते सात लाख रोहिंग्‍या मुस्लिमों को राखिन प्रांत से पलायन करना पड़ा था। संयुक्‍त राष्‍ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा में लगभग 400 रोहिंग्‍या गांवों को आग के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, अंतरराष्‍ट्रीय दबावों के चलते म्‍यांमार इन शरणार्थियों की बात कहता रहा है और बांग्‍लादेश पर वापसी के प्रयासों में असफल होने का आरोप भी लगाता रहा है।


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