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    10 हजार साल बाद क्यों फटा इथियोपिया में ज्वालामुखी, भारत समेत किन-किन देशों तक होगा इसका असर?

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 12:07 AM (IST)

    इथियोपिया के दनाकिल इलाके में हैली गुब्बी ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ, जो लगभग 10,000 वर्षों से शांत था। विस्फोट से 15 किलोमीटर ऊंचा राख का बादल बना। सैटेलाइट तस्वीरों में सल्फर डाइऑक्साइड भी दिखा। वैज्ञानिकों का कहना है कि विस्फोट का तेज चरण अब थम गया है, लेकिन आगे विस्फोट की संभावना पर नजर रखी जा रही है।

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    10 हजार साल क्यों फटा इथियोपिया में ज्वालामुखी ( फोटो सोर्स volcano discovery )

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इथियोपिया के दनाकिल इलाके में आज सुबह एक बेहद दुर्लभ ज्वालामुखी विस्फोट हुआ। हैली गुब्बी नाम का यह ज्वालामुखी, जो अब तक शांत माना जाता थाअचानक फट पड़ा। यह जगह मशहूर एरटा एले ज्वालामुखी से करीब 15 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है।

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    सुबह लगभग 8:30 बजे (स्थानीय समय) हुए विस्फोट में बेहद ऊंचा राख का बादल बना, जो 10 से 15 किलोमीटर तक ऊपर उठ गया और हवा के साथ बहकर दक्षिण-पश्चिमी अरब प्रायद्वीप की ओर चला गया।

    कितने सालों बाद फिर सक्रिय हुआ ज्वालामुखी?

    हैली गुब्बी एक शील्ड-टाइप ज्वालामुखी है और इथियोपिया के दूर-दराज अफार क्षेत्र में आता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ज्वालामुखी के होलोसीन काल (कई हजार साल) में विस्फोट का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। माना जाता है कि यह 10,000-12,000 साल बाद फिर से सक्रिय हुआ है।

    इलाका बेहद दूर और कठिन है, इसलिए ज्वालामुखी की निगरानी आम तौर पर सैटेलाइट के जरिए ही होती है। इसी कारण विस्फोट से जुड़ी शुरुआती जानकारी भी उपग्रहों से ही मिली है।

    सैटेलाइट तस्वीरों में दिखा SO₂

    सैटेलाइट तस्वीरों में राख के साथ सल्फर डाइऑक्साइड (SO) की बड़ी मात्रा भी दिखाई दी है। हालांकि यह क्षेत्र आबादी से दूर है और अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन इतनी ऊंचाई तक पहुंची राख हवाई जहाजों के लिए खतरा बन सकती है। स्थानीय चरवाहों और पर्यावरण पर भी इसका कुछ असर पड़ सकता है, क्योंकि राख जमीन पर गिर सकती है।

    यह पूरा इलाका अफार रिफ्ट कहलाता है, जहां अफ्रीकी प्लेट धीरे-धीरे अलग हो रही है। यहां कई ज्वालामुखी हैं, जिनमें एरटा एले लगातार सक्रिय रहता है। हैली गुब्बी का अचानक फटना वैज्ञानिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इतने लंबे समय शांत रहने वाले ज्वालामुखी का फिर से सक्रिय होना रिफ्ट जोन की गहराई में होने वाली गतिविधियों पर नई जानकारी दे सकता है

    आगे फिर विस्फोट की संभावना है या नहीं?

    ताजा रिपोर्ट के अनुसार, विस्फोट का सबसे तेज चरण अब काफी हद तक थम गया है। लेकिन वैज्ञानिक अभी भी लावा की हलचल, धरती की कंपकंपी और गैसों के स्तर पर नजर रख रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि आगे किसी और विस्फोट की संभावना है या नहीं।

    महत्व और असर

    यह विस्फोट खास तौर पर इसलिए ध्यान देने लायक है क्योंकि हेली गुब्बी में दर्ज इतिहास में कोई गतिविधि नहीं हुई थी, जिससे यह लंबे समय से शांत ज्वालामुखी का एक दुर्लभ जागरण बन गया।

    अफार इलाके का इलाका दूर-दराज वाला है, इसलिए साइंटिफिक मॉनिटरिंग कम हुई है, जिससे ज्वालामुखी जानकारों की इस घटना में दिलचस्पी बढ़ जाती है। हालांकि इस इलाके में आबादी कम है और किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।

    हवाई यात्रा में रुकावट (जेट ऊंचाई पर राख)।

    इलाके में स्थानीय चरवाहों पर पर्यावरण और चराई का असर।

    अफार ट्रिपल-जंक्शन इलाके में ज्वालामुखी फटने के बारे में नई जानकारी, जो टेक्टोनिक रूप से सक्रिय है।

    अफार रिफ्ट उस इलाके का हिस्सा है जहां अफ्रीकी टेक्टोनिक प्लेट टूट रही है, जिससे रेड सी और गल्फ ऑफ अदन रिफ्ट बन रहे हैं। 

    यहां के ज्वालामुखियों में अक्सर एर्टा एले जैसी शील्ड-टाइप संरचनाएं होती हैं, लेकिन हेली गुब्बी का अचानक फटना यह दिखाता है कि कैसे दरार वाली जगहों पर शांत दिखने वाली ज्वालामुखी की इमारतें भी लंबे समय तक शांत रहने के बाद फिर से जीवित हो सकती हैं।

    अभी की स्थिति

    ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि एक्सप्लोसिव फेज काफी हद तक कम हो गया है, लेकिन मैग्मा की संभावित हलचल, भूकंपीयता और आगे की गतिविधि की संभावना का पता लगाने के लिए सैटेलाइट मॉनिटरिंग और फील्ड स्टडीज जारी हैं।

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