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    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने मार गिराए थे राफेल? लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी ने खुद किया खुलासा

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 03:55 PM (IST)

    डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन एरिक ट्रैपियर ने राफेल लड़ाकू विमानों के नुकसान की फर्जी खबरों का खंडन किया है। फ्रांसीसी अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तान और चीन राफेल के खिलाफ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार कर रहे हैं जिसमें फर्जी तस्वीरें और एआई-जनित सामग्री शामिल हैं। इस साजिश का उद्देश्य चीनी तकनीक को बेहतर दिखाना और राफेल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है।

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    फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राफेल के खिलाफ 'झूठ का एक बड़ा जाल' बुना जा रहा है। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया है।

    उन्होंने उन फर्जी खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है जिनमें दावा किया गया कि भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ सैन्य तनातनी के दौरान राफेल लड़ाकू विमान गंवा दिए।

    फ्रांस ने भी खोली पाकिस्तान और चीन की पोल

    फ्रांसीसी अधिकारियों ने खुलासा किया कि पाकिस्तान और चीन मिलकर राफेल के खिलाफ सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैला रहे हैं। फ्रांस का कहना है कि इस साजिश में राफेल के मलबे की फर्जी तस्वीरें, AI से बने कंटेट और 1,000 से ज्यादा नए बनाए गए सोशल मीडिया अकाउंट शामिल हैं। इनका मकसद चीनी तकनीक को बेहतर दिखाना और राफेल की साख को चोट पहुंचाना है।

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    फर्जी खबरों के निशाने पर क्यों आया राफेल?

    चीनी अधिकारी उन देशों को निशाना बना रहे हैं, जिन्होंने राफेल खरीदा है या जो इसे खरीदने की सोच रहे हैं। फ्रांसीसी खुफिया जानकारी के मुताबिक, यह एक सुनियोजित साजिश है, जिसका मकसद फ्रांस के लड़ाकू विमान को बदनाम करना है।

    फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राफेल के खिलाफ 'झूठ का एक बड़ा जाल' बुना जा रहा है, ताकि चीनी हथियारों को बेहतर दिखाया जाए।

    मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, "राफेल को यूं ही निशाना नहीं बनाया गया। यह एक बेहद काबिल लड़ाकू विमान है, जिसे कई देशों को निर्यात किया गया है और इसे बड़े सैन्य अभियानों में तैनात किया जाता है।"

    मंत्रालय ने आगे कहा, "राफेल सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि फ्रांस की रणनीतिक ताकत का प्रतीक है। इसे बदनाम करके कुछ ताकतें फ्रांस की साख, उसकी रक्षा तकनीक और भरोसेमंद साझेदारियों को कमजोर करना चाहती हैं।"

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