Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bharat bandh: बैंक, पोस्ट ऑफिस, शेयर बाजार... 25 करोड़ कर्मचारियों की हड़ताल; कल क्या-क्या रहेगा खुला और क्या रहेगा बंद?

    देश में लगभग 25 करोड़ कामगार भारत बंद (bharat bandh) के लिए तैयार हैं जिसमें बैंकिंग बीमा और कोयला खदानों के श्रमिक शामिल हैं। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने सरकार पर मजदूरों की मांगों को अनदेखा करने और कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। यूनियनों का कहना है कि सरकार की नई श्रम संहिताएं मजदूरों के अधिकारों को छीनने की साजिश हैं।

    By Digital Desk Edited By: Chandan Kumar Updated: Tue, 08 Jul 2025 03:17 PM (IST)
    Hero Image
    10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने हड़ताल को 'भारत बंद' का नाम दिया है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  bharat bandh देश के 25 करोड़ से कामगार बुधवार को देशव्यापी हड़ताल पर उतरने को तैयार हैं। इसमें बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाओं से लेकर कोयला खदानों तक काम करने वाले कामगार शामिल रहेंगे।

    10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने इसे 'भारत बंद' का नाम दिया है। यूनियनों का कहना है कि सरकार ने मजदूरों की मांगों को नजरअंदाज किया और कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा दिया। इस हड़ताल की तैयारी महीनों से चल रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की अमरजीत कौर ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया, "25 करोड़ से ज़्यादा मजदूर इस हड़ताल में शामिल होंगे। किसान और ग्रामीण मजदूर भी देशभर में विरोध में उतरेंगे।"

    क्या रहेगा खुला और क्या रहेगा बंद?

    यूनियन की हड़ताल के दौरान बैंकिंग सेवाएं, डाक सेवाएं, बीमा सेवाएं प्रभावित होंगी। इसके अलावा सरकार परिवहन भी प्रभावित होगी। वहीं शेयर मार्केट खुला रहेगा, इसके साथ ही सर्राफा बाजार भी खुला रहेगा। 

    क्या हैं मांग?

    यूनियनों ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17 मांगों का एक चार्टर सौंपा था। उनका आरोप है कि सरकार ने इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया। पिछले एक दशक से वार्षिक श्रम सम्मेलन भी आयोजित नहीं किया गया। इसे यूनियनें मजदूरों के प्रति सरकार की उदासीनता का सबूत मानती हैं।

    हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा, "बैंकिंग, डाक, कोयला खनन, कारखाने और राज्य परिवहन सेवाएं इस हड़ताल से बुरी तरह प्रभावित होंगी।"

    यूनियन ने सरकार पर क्या आरोप लगाए हैं?

    यूनियनों का कहना है कि सरकार की नई श्रम संहिताएं मजदूरों के हक छीनने की साजिश हैं। ये चार संहिताएं सामूहिक सौदेबाजी को कमजोर करती हैं और यूनियन गतिविधियों को दबाती हैं।

    • संयुक्त मंच का कहना है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सेवाओं के निजीकरण, आउटसोर्सिंग, ठेकेदारी और अस्थायी मजदूरों की नीतियों को बढ़ावा दे रही है।
    • ये नीतियां मजदूरों के हकों को कमजोर करती हैं और उनके भविष्य को अनिश्चित बनाती हैं।
    • यूनियनों का कहना है कि चार नई श्रम संहिताएं ट्रेड यूनियन आंदोलन को कुचलने, हड़ताल के अधिकार को छीनने और मजदूरों की आवाज को दबाने के लिए बनाई गई हैं।
    • सयुंक्त किसान मोर्चा और कृषि मज़दूर यूनियनों के संयुक्त मंच ने इस हड़ताल को पूरा समर्थन दिया है। उन्होंने ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की योजना बनाई है।

    इसके साथ ही आरोप हैं कि इन संहिता के वजह से काम के घंटे बढ़ाती हैं और नियोक्ताओं को श्रम कानूनों के उल्लंघन से बचाती हैं। यूनियनों का दावा है कि सरकार ने देश के कल्याणकारी राज्य के दर्जे को छोड़कर विदेशी और भारतीय कॉरपोरेट्स के हितों को प्राथमिकता दी है।

    (पीटीआई इनपुट्स के साथ)

    यह भी पढ़ें: नेतन्याहू का मास्टरस्ट्रोक, व्हाइट हाउस में डिनर पर अमेरिकी राष्ट्रपति को दिया खास 'तोहफा'