'भारत अपने साझेदारों के साथ मिलकर करेगा काम', ब्रिक्स सम्मेलन में बोले पीएम मोदी; कहा- रोकना होगा AI का दुरुपयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स देशों से खनिजों और प्रौद्योगिकी की सप्लाई चेन को सुरक्षित करने का आह्वान किया है ताकि कोई भी देश इनका इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए न कर सके। रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए वैश्विक मानकों की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि पारदर्शिता बनी रहे और दुरुपयोग रोका जा सके।

पीटीआई, रियो डी जेनेरियो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान किया कि ब्रिक्स देशों को महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकी की सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी देश इन संसाधनों का उपयोग अपने ''स्वार्थी लाभ'' के लिए या दूसरों के खिलाफ ''हथियार'' के रूप में न करे।
वे ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित ब्रिक्स समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान रविवार को बहुपक्षीयता, वित्तीय मामलों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आयोजित एक सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मोदी ने एआइ के उपयोग के लिए वैश्विक मानकों के निर्माण की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि पारदर्शिता बनाए रखी जा सके और इसके दुरुपयोग को रोका जा सके।
'हमें मिलकर करना चाहिए काम'
महत्वपूर्ण खनिजों पर मोदी के बयान चीन द्वारा इन संसाधनों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों और इस क्षेत्र में उसकी गैर-पारदर्शी नीति के बीच आए हैं। मोदी ने कहा- ''हमें मिलकर काम करना चाहिए ताकि महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकी की सप्लाई चेन सुरक्षित और विश्वसनीय हों। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कोई भी देश इन संसाधनों का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए न करे।''
एआई पर क्या बोले पीएम मोदी?
लिथियम, निकल और ग्रेफाइट जैसे महत्वपूर्ण खनिज उच्च तकनीकी उत्पादों जैसे इलेक्टि्रक वाहनों, ड्रोन और बैटरी भंडारण के लिए आवश्यक माने जाते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर मोदी ने कहा कि यह रोजमर्रा की जिंदगी को बेहतर बना सकता है लेकिन इसके साथ ही यह जोखिम, नैतिकता और पूर्वाग्रहों के बारे में चिंताएं भी उठाता है।
AI इंपैक्ट समिट का भारत करेगा आयोजन
उन्होंने घोषणा की कि भारत अगले वर्ष ''एआई इंपैक्ट समिट'' का आयोजन करेगा। उन्होंने कहा कि हमें जिम्मेदार एआइ के लिए एक साथ काम करना चाहिए। वैश्विक मानकों का निर्माण किया जाना चाहिए जो डिजिटल सामग्री की प्रामाणिकता को सत्यापित कर सकें ताकि हम सामग्री के स्त्रोत की पहचान कर सकें। इसकी पारदर्शिता बनाए रख सकें और दुरुपयोग को रोक सकें। प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स के प्रयासों पर भी चर्चा की, जोकि ग्लोबल साउथ (विकासशीस व कम विकसित देशों) की सहायता के लिए हैं।
उन्होंने कहा- ''ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) के रूप में हमने ग्लोबल साउथ की विकास आकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए एक मजबूत और विश्वसनीय विकल्प प्रस्तुत किया है।''
'ग्लोबल साउथ की हमसे काफी उम्मीदें'
उन्होंने ब्रिक्स कृषि अनुसंधान प्लेटफार्म की स्थापना का उल्लेख किया, जो कृषि अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। मोदी ने ब्रिक्स विज्ञान और अनुसंधान भंडार के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा, जोकि ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक मूल्यवान संसाधन हो सकता है।
उन्होंने कहा-''ग्लोबल साउथ की हमसे काफी उम्मीदें हैं। इन्हें पूरा करने के लिए हमें आगे बढ़कर नेतृत्व करने के सिद्धांत का पालन करना चाहिए।''
उन्होंने कहा कि भारत अपने सभी साझेदारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स के शीर्ष नेताओं ने दुनिया के सामने मौजूद कई अहम चुनौतियों पर चर्चा की। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लिया।
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