UNHRC में सुनाई दी पहलगाम नरसंहार की गूंज, आतंकवाद के खिलाफ भारत ने की ग्लोबल एक्शन की मांग
डिजिटल डेस्क नई दिल्ली से प्राप्त समाचार के अनुसार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पहलगाम नरसंहार की गूंज सुनाई दी। भारतीय सामाजिक नेता डा. एसएन शर्मा ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने यूएनएचआरसी के 60वें सत्र में बोलते हुए 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख किया जिसमें 26 निर्दोष भारतीयों की जान गई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में हुए पहलगाम नरसंहार की गूंज संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में सुनाई दी, जहां भारतीय सामाजिक नेता और राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के सीईओ डा. एसएन शर्मा ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ मजबूत वैश्विक कार्रवाई की अपील की।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र को संबोधित करते हुए शर्मा ने आतंकवाद की निंदा की। उन्होंने इसे मानव गरिमा और अंतरराष्ट्रीय शांति पर एक मौलिक हमले के रूप में वर्णित किया। उन्होंने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी में 22 अप्रैल, 2025 को हुए आतंकी हमले का उल्लेख किया, जहां 26 निर्दोष भारतीयों जिसमें हिंदू पर्यटकों पर लक्षित हमले में नरसंहार किया गया।
आतंकवाद संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित मूल्यों पर एक सीधा हमला
शर्मा ने परिषद के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए कहा, ''आतंकवाद केवल राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला नहीं है। यह मानवता, मानव गरिमा और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित मूल्यों पर एक सीधा हमला है। पहलगाम की शांतिपूर्ण घाटियों को एक यादृच्छिक कार्य द्वारा नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के अभियान द्वारा नष्ट किया गया है। इसका उद्देश्य भय फैलाना और स्थिरता को बाधित करना है।''
पहलगाम हमला चरमपंथी हिंसा के व्यापक वैश्विक पैटर्न का हिस्सा
शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि पहलगाम की त्रासदी एक अलग घटना नहीं है, बल्कि चरमपंथी हिंसा के व्यापक वैश्विक पैटर्न का हिस्सा है। मुंबई और पुलवामा से लेकर पेरिस और मैनचेस्टर तक उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के पदचिह्न यह दिखाते हैं कि आतंकवाद को केवल द्विपक्षीय सुरक्षा मुद्दे के रूप में नहीं देखा जा सकता। इसके बजाय, यह एक वैश्विक मानवाधिकार संकट का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके लिए एकजुट और सिद्धांत आधारित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
दुनिया को सिद्धांतों के साथ एकजुट होकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए
सामूहिक संकल्प की अपील करते हुए शर्मा ने निष्कर्ष निकाला, ''दुनिया को सिद्धांतों के साथ एकजुट होकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। इतिहास को हमारी चुप्पी नहीं, बल्कि हमारे संकल्प को दर्ज करना चाहिए।''
इससे पहले, प्रमुख कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता व आतंकवाद पीड़ित तस्लीमा अख्तर ने बचपन की त्रासदी और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के हाथों अनगिनत परिवारों के निरंतर दुखों का वर्णन करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की।
(समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)
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