सुधर रही है Ozone Layer की स्थिति, वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा; रिपोर्ट आई सामने
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट के अनुसार ओजोन परत 2050 तक 1980 के दशक के स्तर पर वापस आ जाएगी। अंटार्टिका का ओजोन छेद भी छोटा हुआ है जिसका कारण इंसानी प्रयास हैं। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत हानिकारक रसायनों को बंद किया गया जिससे ओजोन परत ठीक हो रही है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने देशों के सहयोग की सराहना की।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धरती की ओजोन लेयर जो हमें खतरनाक अल्ट्रावायलेट रे से बचाती है अब धीरे-धीरे ठीक हो रही है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि परत 2050 तक 1980 के दशक वाले स्तर पर लौट जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में अंटार्टिका का ओजोन छेद पिछले कुछ वर्षों की तुलना में छोटा रहा। इसका एक कारण प्राकृतिक मौसमीय बदलाव थे, लेकिन लंबे समय में यह सुधार इंसानी प्रयासों की वजह से है। यह रिपोर्ट विश्व ओजोन दिवस पर जारी की गई थी, जो विएना कन्वेंशन की 40वीं सालगिरह भी थी।
कैसे दिख रहा सुधार?
यही समझौता ओजोन की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की शुरुआत बना। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने कहा कि 40 साल पहले देश विज्ञान की चेतावनी मानकर साथ आए और कदम उठाए। इसी वजह से आज ओजोन परत में सुधार दिख रहा है।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत अब तक 99% से ज्यादा हानिकारक रसायनों को बंद किया जा चुका है। ये रसायन कभी रेफ्रिजरेटर, एसी, फोम और हेयरस्प्रे जैसी चीजों में खूब इस्तेमाल होते थे। इनके खत्म होने से ओजोन परत धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं।
निगरानी है जारी
WMO के वैज्ञानिकों ने कहा कि यह सुधार स्थायी रहे इसके लिए जरूरी है कि पूरी दुनिया ओजोन परत और उससे जुड़ी गैसों की निगरानी लगातार जारी रखे। 2024 में ओजोन छेद का सबसे बड़ा स्तर 29 सितंबर को दर्ज हुआ, जो 46.1 मिलियन टन था। यह 2020 से 2023 के बड़े छेदों की तुलना में छोटा रहा और जल्दी ठीक भी हो गया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।