झुलसी इमारतें, टूटे-फूटे कंप्यूटर...हिंसक प्रदर्शन के बाद नेपाल में फिर खुले सरकारी दफ्तर
Nepal Protest Aftermath नेपाल में हिंसा के बाद हालात सामान्य हो रहे हैं लोग दफ्तर जा रहे हैं। काठमांडू के ज्यादातर सरकारी दफ्तर खुल गए हैं। हिंसा में 72 लोगों की जान गई और सरकारी दफ्तरों को निशाना बनाया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के कंप्यूटर जला दिए गए और गाड़ियों को आग लगा दी गई। नई प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने चिंता जताई है।

डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल में भड़की हिंसा के बाद हालात एक बार फिर सामान्य होने लगे हैं। लोगों ने दफ्तरों का रुख करना शुरू कर दिया है। टूटी-फूटी इमारतों और खराब पड़े कंप्यूटरों के बीच कर्मचारियों ने मोर्चा संभालना शुरू कर दिया है।
काठमांडू के ज्यादातर सरकारी दफ्तर अब खुल चुके हैं। नेपाल में हिंसा के बाद पहली बार रविवार की सुबह हजारों सरकारी कर्मचारियों ने दफ्तर का रुख किया। नेपाल हिंसा में कम से कम 72 लोगों ने जान गंवा दी।
हिंसा के बाद का मंजर
नेपाल में हिंसा के दौरान ज्यादातर लोगों ने पुलिस स्टेशन और सरकारी दफ्तरों को ही निशाना बनाया था। कई जरूरी दस्तावेजों को भी भीड़ ने आग के हवाले कर दिया गया था। ऐसे में कर्फ्यू हटने के बाद रविवार को सभी मंत्रालय, बैंक और सुप्रीम कोर्ट फिर से खुल गए हैं।
नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय के उपसचिव कपिल तिमालसेन के अनुसार,
स्वास्थ्य मंत्रालय पूरे देश में स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं बनाता है। हिंसा के दौरान भीड़ ने पूरे मंत्रालय के कंप्यूटरों को एक जगह एकत्रित करके जला दिया था। दरवाजे के बाहर मौजूद सभी कारों को आग के हवाले कर दिया गया था। बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। अब हमें सबकुछ फिर से पटरी पर लाने के लिए अन्य रास्ते तलाशने होंगे।
नई पीएम ने भी जताई थी चिंता
नेपाल में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान भी प्रदर्शनकारियों ने संसद समेत कई इमारतों में भारी तोड़फोड़ की और सरकारी गाड़ियों को जला दिया गया। नेपाल की नई प्रधानंमत्री सुशीला कार्की का कहना है कि सरकार चलाने के लिए नई गाड़ियां खरीदनी होंगी।
मंत्रालयों का काम हुआ ठप
सरकारी कर्मचारी अब सिर्फ दफ्तर आते हैं और हाजिरी लगाकर इधर-उधर टाइम पास करके घर लौट जाते हैं। बिना कंप्यूटर और दस्तावेजों के कर्मचारी चाहकर भी काम नहीं कर सकते हैं। सुशीला कार्की ने अभी तक अपने मंत्रिमंडल की घोषणा नहीं की है, लेकिन संभावित मंत्री बनने वाले सभी लोगों को यही डर सता रहा है कि अब मंत्रालय कैसे चलेंगे?
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