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    विदेशी बहू को करना होगा 7 साल तक इंतजार, नेपाल में नागरिकता कानून में संशोधन की मांग

    By Monika MinalEdited By:
    Updated: Mon, 22 Jun 2020 08:38 AM (IST)

    नेपाल के लड़को से शादी करने वाली विदेशी युवती के लिए नेपाल के नागरिकता कानून में संशोधन की मांग की जा रही है जिसका देश के विपक्षी पार्टी द्वारा विरोध किया गया है।

    विदेशी बहू को करना होगा 7 साल तक इंतजार, नेपाल में नागरिकता कानून में संशोधन की मांग

    काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल के संसदीय पैनल ने देश के नागरिकता कानून (Citizenship Act) को संशोधित करने का प्रस्ताव दिया है। अब नेपाल-भारत के बीच सदियों से चली आ रही 'रोटी-बेटी' का रिश्ता खत्म होने की पुरजोर संभावना बनती जा रही है। नेपाल  की नागरिकता कानून में संशोधन का प्रस्ताव देश की संसद में आया है जिसके अनुसार, अब भारत या किसी और देश की बेटी को नेपाल की बहू  बनने के बाद भी यहां की नागरिकता के लिए सात साल तक इंतजार करना होगा। हालांकि इस सात साल की अवधि के लिए दूसरे देश की बेटियों को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अधिकारों वाले नेपाल का  आवासीय पहचान पत्र शादी के दिन से मिल जाएगा। यह अभी देश की संसद में विचाराधीन है। नेपाल के मुख्य विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना की है। इनका कहना है कि इससे मधेश में रहने वालों को परेशानी होगी क्योंकि सीमा पार शादियां वहां वैध हैं।

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    नेपाली कांग्रेस (Nepali Congress, NC)  और जनता समाजवादी पार्टी (Janata Samajbadi Party, SJP) ने कहा है कि इस तरह के प्रावधान भारत के साथ नेपाल के संबंधों को भी प्रभावित कर सकते हैं जहां से रोजी-रोटी व विवाह के संबंध लंबे समय से हैं। चार-पांच वर्ष पहले तक भारत से सामान्यत: 40 से 50 बारात नेपाल जाती थी भारत से भी नेपाल जाने वाली बारातों के यही आंकड़े हैं। लेकिन हाल के वर्षों में नेपाल से बारात की संख्या पहले की तुलना में आधे से भी कम हो गई है। 

    उल्लेखनीय है कि नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने भारतीय विवाहित महिलाओं को शादी के 7 साल बाद नागरिकता देने के कानून के फैसले को आगे बढ़ाते हुए रविवार को संसदीय समिति से बहुमत से पारित कर दिया है।  नेपाल की विपक्षी पार्टियों के तमाम दलील और विरोध को खारिज करते हुए सत्तारूढ़ दल ने नागरिकता संबंधी विवादास्पद कानून बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है। हालांकि, इस कानून के खिलाफ नेपाल में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है। मधेश क्षेत्र से आने वाले दो  सांसदों ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।  इसके बावजूद नेपाल की ओली सरकार अगले दो दिनों में इसे संसद से पारित कराने की तैयारी में है।  

    बता दें कि देश के नक्शे को लेकर भारत-नेपाल के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। दरअसल, नेपाल ने अपने नक्शे में भारत के क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में दिखाया है। इसपर भारत ने आपत्ति जताई है जिसे नजरअंदाज कर नेपाल ने अपने इस नए नक्शे को कानूनी मान्यता दे दी।